हरियाणा के 18वें राज्यपाल के तौर पर बंडारू दत्तात्रेय ने शपथ ले ली है। दत्तात्रेय राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं और पड़ोसी राज्य में ही राज्यपाल होने के चलते हरियाणा की सियासी पृष्ठभूमि से अच्छे से वाकिफ हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहते भी दत्तात्रेय का हरियाणा से विशेष जुड़ाव रहा। दत्तात्रेय को सितंबर 2019 में हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। इस प्रकार उनका कार्यकाल सितंबर 2024 तक होगा। यानी बंडारू दत्तात्रेय हरियाणा में पूरे पांच वर्ष नहीं, बल्कि करीब तीन साल तक राज्यपाल के पद पर रहेंगे।
केंद्र सरकार में तीन बार मंत्री और चार बार सांसद रह चुके बंडारू दत्तात्रेय मूल रूप से तेलंगाना के रहने वाले हैं। हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री लेने के बाद संघ प्रचारक के तौर पर राजनीतिक करियर शुरू किया। देश में आपातकाल के दौरान बंडारू दत्तात्रेय ने जेल भी काटी। साल 1980 में दत्तात्रेय ने बीजेपी की सदस्यता ली और आंध्र प्रदेश ईकाई के सचिव बन गए। अगले ही साल पार्टी ने महासचिव बना दिया। दो बार आंध्र प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष रहे और फिर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचे।
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1991 में पहली बार सांसद बने दत्तात्रेय स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने थे। साल 1998 में वह दूसरी बार चुनाव जीते और वाजपेयी सरकार में शहरी विकास मंत्री बनाए गए। इसके बाद 1999 में फिर से वह जीत हासिल कर संसद पहुंचे और रेल राज्यमंत्री बने। इसके बाद साल 2014 में वह अपनी सिकंदराबाद सीट से चुनाव जीते और मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री श्रम एवं रोजगार स्वतंत्र प्रभार बनाए गए। हालांकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी ने टिकट नहीं दिया था।
बाद में बंडारू दत्तात्रेय को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंप दी गई और अब बंडारू दत्तात्रेय हरियाणा के राज्यपाल नियुक्त हो गए है।
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