बिहार की दीपावली में जगमगाएगी ‘लालू की लालटेन’, या फिर चलेगा ‘सुशासन बाबू’ का जलवा !

नई दिल्ली (रिपोर्ट- प्रदीप कुमार): कोरोना काल में होने जा रहा बिहार का चुनावी मुकाबला इस बार बिल्कुल अलग अंदाज में लड़ा जाएगा। चुनावी बिगुल बजते ही राज्य में असली चुनावी मुकाबला भी शुरू हो गया है।

बिहार चुनाव में इस बार मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौथे कार्यकाल के लिए बीजेपी और एनडीए गठबंधन के साथ चुनाव में उतरेंगे, वहीं विपक्षी आरजेडी इस बार सजा काट रहे पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव के नेतृत्व में उन्हें चुनौती देगी। कांग्रेस और अन्य का भी आरजेडी के साथ चुनाव लड़ना तय है, हालांकि दोनों के बीच अभी सीट बंटवारे पर चर्चा बाकी है।

एनडीए गठबंधन ने इस बार नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदार बनाया है। हालांकि, गठबंधन की साथी पार्टी- बीजेपी और एलजेपी की जेडीयू से सीट बंटवारे को लेकर अब तक बात नहीं बन पाई है। जेडीयू ने 115 सीटों पर लड़ने की इच्छा जाहिर की है और 128 सीटें बीजेपी और एलजेपी के लिए छोड़ने की बात कही है। जेडीयू के सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी को इतनी सीटों पर एलजेपी को भी साधना होगा और जीतनराम मांझी के हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर के लिए भी जगह बनानी होगी।

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इससे पहले 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ महागठबंधन में लड़ा था। हालांकि, लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद महज दो साल के अंदर ही नीतीश कुमार ने गठबंधन से किनारा कर लिया और बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हो गए।

कोरोना काल में चुनावों का बड़ा मुद्दा बनेगा ‘कोरोना’ !

कोरोना के बीच हो रहे इन चुनावों में कोरोना बड़ा मुद्दा बनने वाला है। तेजस्वी यादव कोरोना को लेकर लगातार नीतीश सरकार पर हमला कर रहे हैं। कोरोनाकाल में नीतीश कुमार के घर से बाहर नहीं निकलने को भी उन्होंने मुद्दा बनाया है। वहीं, नीतीश की ओर से सरकार द्वारा पिछले छह महीने में उठाए विकास के कदमों को गिनाया जा रहा है।

बिहार के बदले चुनावी मुकाबले में आरजेडी केवल नीतीश कुमार को निशाने पर लेकर हमला कर रही है। कोरोना काल में हो रहे बिहार चुनाव में जहां तकनीक के लिहाज से बीजेपी-जेडीयू गठबंधन विरोधियों पर भारी पड़ रहा हैं तो वही आरजेडी-कांग्रेस परंपरागत जनसंपर्क अभियान पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। ऐसे में चुनाव आयोग की कोरोना गाइडलाइन के दायरे में हो रहे इस चुनावी मुकाबले को लड़ना सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए चुनौती बना हुआ है।

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