दिल्ली सरकार के फंडेड कॉलेज में पिछले तीन-चार महीनों से सैलरी संकट को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने भ्रष्टाचार से जोड़ दिया है। दिल्ली सरकार का कहना है कि बीते 5 सालों में डीयू के 12 कॉलेजों के लिए दिल्ली सरकार ने करीब 70 फ़ीसदी फंड में बढ़ोतरी की है की है । इसके बावजूद सैलरी के लिए पैसा नहीं होना भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
बता दें दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के स्टाफ पर पिछले 4 महीने से सैलरी का संकट है। डीडीयू कॉलेज में भुगतान नहीं करने की वजह से टेलीफोन की लाइन काट दी गई है जबकि बिजली काटने की भी चेतावनी दी जा रही है। कॉलेज प्रशासन सरकार से पैसों की डिमांड कर रहा है पर दिल्ली सरकार का कहना है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इन कॉलेजों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बयान जारी किया है सिसोदिया ने अपने बयान में कहा है कि,”फंड बढ़ने के बावजूद सैलरी संकट कॉलेज में भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है। इस साल 23 फीसदी यानी 56 करोड़ रुपये पहले से ही जारी किए जा चुके हैं, फिर अप्रैल, मई और जून का वेतन क्यों नहीं दे पा रहे। भ्रष्टाचार के कारण कॉलेज गवर्निंग बाॅडी बनाने में देरी कर रहे हैं और दिल्ली सरकार के मनोनित सदस्यों को लेने से इन्कार कर रहे हैं। डीयू के कुलपति को इन भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में लिखा था, अभी तक कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी।”
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वहीं दिल्ली सरकार ने दावा किया है कि पिछले 5 साल में इन कॉलेज के बजट आवंटन में करीब 70 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। साल 2014-15 में इन कॉलेजों का बजट 144.39 करोड़ था जिसे 2019-20 में बढ़ाकर 242.64 करोड़ रुपये और 2020-21 में 243 करोड़ रुपये कर दिया है। सरकार ने ये भी दावा किया है कि साल 2020-21 के लिए 243 करोड़ रुपये बजट में से, 56.25 करोड़ रुपये करीब 23 फीसदी हिस्सा जुलाई में ही जारी किये जा चुके हैं।
कुल मिलाकर दिल्ली सरकार ने गवर्निग बॉडी को केंद्र में रखकर कॉलेजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। हालांकि ये साफ होना बाकी है कि बीते 5 सालों में दिल्ली सरकार के मनोनीत सदस्यों ने किन किन कॉलेज में भ्रष्टाचार में मामले उजागर किये।