कृषि विधेयकों को सदन में हंगामें के बीच पारित किए जाने पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश का स्पष्टीकरण जारी

दिल्ली। (रिपोर्ट- प्रदीप कुमार) राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सदन में भारी हंगामे के बीच कृषि विधेयकों को पारित किए जाने पर स्पष्टीकरण जारी किया है। उपसभापति ने कहा हैं कि कृषि विधेयकों को प्रक्रिया के अनुसार पारित कराया गया था।

आपको बता दें, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने 20 सितंबर को सदन में विपक्ष के विरोध के बीच कृषि विधेयकों को पारित किए जाने पर स्पष्टीकरण जारी किया है। राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने रकहा कि 20 सितंबर को कृषि विधेयकों को प्रक्रिया के अनुसार पारित कराया गया था। हरिवंश का कहना है कि विपक्ष के मत विभाजन की मांग को नहीं माना गया क्योंकि सदन में हंगामा होने के कारण व्यवस्था नहीं थी।

हरिवंश नारायण सिंह ने अपने बयान में कहा, कि ‘मैं एक संवैधानिक पद पर हूं और इसलिए एक औपचारिक खंडन जारी नहीं कर सकता। मैं इन तथ्यों को आपके ध्यान में ला रहा हूं और इसे आपके निर्णय के लिए आपके विवेक पर छोड़ देता हूं।’

हरिवंश नारायण सिंह का स्पष्टीकरण उस रिपोर्ट पर आया है जिसमें बताया गया है कि राज्यसभा सांसद केके रागेश और तिरुचि शिवा 20 सितंबर को कृषि विधेयकों को पास करने के दौरान अपनी सीट से मत विभाजन की मांग कर रहे थे।विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहित विपक्षी सांसदों ने उस दिन सदन का बहिष्कार किया था। विपक्ष का दावा था कि उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने मत विभाजन से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्होंने उच्च सदन का बहिष्कार किया।

सदान के इस घटनाक्रम के बाद राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू ने 8 सांसदों को सस्पेंड कर दिया था। इसके बाद विपक्षी दलों ने संसद परिसर में धरना प्रदर्शन किया और बाद में सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया। विपक्ष ने बाद में लोकसभा की कार्यवाही का भी बहिष्कार कर दिया।

उपसभापति ने जारी बयान में कहा है कि ‘नियमों और चलन के अनुसार मत विभाजन के लिए दो चीज जरूरी हैं। पहला मत विभाजन की मांग की जानी चाहिए और दूसरा यह भी इतना ही महत्वपूर्ण कि सदन व्यवस्थित तरीके से चल रहा हो।

अपनी स्थिति को स्पष्ट करते हुए हरिवंश नारायण सिंह ने मिनट टू मिनट कार्यवाही का हवाला देते हुए कहा कि अध्यादेश को अस्वीकार करने वाले प्रस्ताव और विधेयकों को संसदीय कमेटी में भेजे जाने की मांग वाले केके रागेश के संशोधन को 1.07 बजे सदन ने ध्वनिमत से नकार दिया और कई सदस्य आसन के पास आ गए थे और उस समय वे अपनी सीटों पर नहीं थे।

उपसभापति ने अपने बयान में कहा कि वीडियो में देखा जा सकता है कि उन्हें अपना प्रस्ताव और संशोधन को पेश करने के लिए कहे जाने के बाद, ‘मैंने गैलरी की तरफ देखा, लेकिन वह (रागेश) वहां नहीं थे।’ उन्होंने बयान में 20 सितंबर की घटना के संबंध में विस्तार से घटनाक्रम भी दिया है।

इससे पहले, राज्यसभा सांसद केके रागेश ने उपसभापति को एक खुला पत्र लिखा था। 25 सितंबर को हरिवंश नारायण सिंह को लिखे एक खुले पत्र में सांसद केके रागेश ने उनसे पूछा कि क्या उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘तुष्ट’ करने के लिए कृषि विधेयकों को पास करने के दौरान संसदीय प्रक्रियाओं की अनदेखी की।

केके रागेश ने लिखा, ‘यह आश्चर्य की बात है कि आप जैसा व्यक्ति, जो समाजवादी होने का दावा करता है। राजनीतिक समानता अपनाने के प्रति असली घटनाओं की उपेक्षा करने के लिए ऐसा दोहरा रुख दिखा सकता है।

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