भारत में मंकीपॉक्स के मरीज मिलने से लोगों में हड़कंप मच गया है। देश की जनता अभी कोरोना वायरस से उबरी भी नहीं थी कि अब मंकीपॉक्स ने भारत में भी दस्तक दे दी है। अभी तक 63 देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आ चुके हैं लेकिन भारत में अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया था, लेकिन अब केरल के कोल्लम में मंकीपॉक्स के पहले मरीज की पुष्टि हो गयी है। संयुक्त अरब अमीरात से लौटे एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स जैसे लक्षण सामने आये थे। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम लौटने पर उसे एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां से संदिग्ध व्यक्ति के कुछ नमूने लेकर जाँच के लिए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान पुणे भेजा गया था। जहां मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि हो गयी।
केरल में मंकीपॉक्स के मरीज के मिलने के बाद प्रशासन अलर्ट हो गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय वायरस के प्रकोप की जांच और आवश्यक स्वास्थ्य उपायों को स्थापित करने में केरल सरकार की मदद के लिए मल्टि–डिसिप्लिनेरी सेंट्रल टीम तैनात करेगा।
वहीं केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने मंकीपॉक्स केस की पुष्टि करते हुए कहा, ‘एक मंकीपॉक्स पॉजिटिव केस मिला है। मरीज यूएई से लौटा है। वह 12 जुलाई को केरल आया था। वह त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर पहुंचे और डब्ल्यूएचओ– आईसीएमआर की ओर से जारी दिशा–निर्देशों के अनुसार सभी कदम उठाए जा रहे हैं।‘
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया, ‘केरल स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स को लेकर गाइडलाइन जारी की। मरीज की हालत स्थिर है और उसके सभी अंग सामान्य तरीके से काम कर रहे हैं। संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान की गई है जिसमें मरीज के पिता, माता, टैक्सी चालक, ऑटो चालक और उसी फ्लाइट के 11 यात्री जो बगल की सीटों पर थे।‘ उन्होंने कहा कि इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। सभी कदम उठाए जा रहे हैं और मरीज की हालत स्थिर है।
Monkeypoxmeter.com के डेटा के मुताबिक, अब तक 73 देशों में 11,076 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से यूरोप में सबसे ज्यादा लोग मंकीपॉक्स की चपेट में आए हैं। वहीं, बीमारी से ग्रस्त टॉप 10 देशों में स्पेन(2447), जर्मनी(1790),यूनाइटेड किंगडम(1735), अमेरिका(1051), फ्रांस(908), नीदरलैंड्स(549), कनाडा(485), पुर्तगाल(473), ब्राज़ील(317) और इटली(293) शामिल हैं। मंकीपॉक्स से इस साल तीन लोगों की मौत हो चुकी है।
WHO के मुताबिक मंकीपॉक्स का पहला मामला 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में सामने आए थे। इंसानों में मंकीपॉक्स का पहला केस 1970 में कान्गो (अफ्रीका) में दर्ज हुआ।
मंकीपॉक्स की दो स्ट्रेंस है पहली कांगो और दूसरी पश्चिम अफ्रीका स्ट्रेन। WHO के अनुसार चेचक की वैक्सीन 85% तक मंकीपॉक्स मरीजों के लिए कारगर है, ज्यादातर देश यही वैक्सीन इस्तेमाल कर रहे है।
है क्या मंकीपॉक्स?
मंकीपॉक्स एक जूनोटिक डिजीज है, जो कि लगभग चिकनपॉक्स की तरह होती है। लेकिन यह चिकनपॉक्स नहीं होती है। अगर आप मंकीपॉक्स की पहचान करना चाहते हैं, तो मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में जरूर जानकारी लें।
मंकीपॉक्स के लक्षण
- सीडीसी के मुताबिक, मंकीपॉक्स वायरस के लक्षण चिकनपॉक्स की तरह ही होते हैं। लेकिन यह हल्के होते हैं। इसके साथ ही अन्य लक्षण भी देखने को मिलते हैं। जैसे –
- बुखार
- सिरदर्द
- लिंफ नोड्स में सूजन
- मसल्स में दर्द और कमर दर्द
- ठंड लगना
- अत्यधिक थकान
- चेहरे, मुंह के अंदर, हाथ–पैर, छाती, जननांग, मलद्वार आदि जगहों पर पिंपल या छाले की तरह दिखने वाला रैशेज आदि।
सावधानियां और बचाव
- हालाँकि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए वही तरीके अपनाये जो अन्य वायरस के लिए कारगर है।
- जिस व्यक्ति में मंकीपॉक्स जैसे रैशेज दिख रहे हों, उससे शारीरिक दूरी बनाएं।
- मंकीपॉक्स जैसे लक्षण दिख रहे हों तो उस व्यक्ति की चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों के इस्तेमाल से बचे और ना छुएं।
- अपने हाथों को साबुन व पानी से धोएं या एल्कोहॉल बेस्ड हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
- अगर आप के अंदर मंकीपॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, तो घर पर रहें।
- अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखें।
Top Hindi News, Latest News Updates, Delhi Updates,Haryana News, click on Delhi Facebook, Delhi twitter and Also Haryana Facebook, Haryana Twitter.
