सरकार ने सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए 47 अतिरिक्त सीमा चौकियों की स्थापना के लिए भारत–तिब्बत सीमा पुलिस, ITBP को सहमति प्रदान की है। गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने भारत–तिब्बत सीमा पुलिस के 59 वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, सरकार ने आईटीबीपी को अधिक कुशल और आधुनिक बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि मौजूदा सरकार आईटीबीपी को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, सीमा सुरक्षा के अलावा, आईटीबीपी जम्मू–कश्मीर में आतंकवाद से लड़ रहा है, छत्तीसगढ़ में वामपंथी उग्रवाद और विदेशों में शांति में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।
भारत–चीन संघर्ष के बाद देश की उत्तरी सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए 24 अक्टूबर 1962 को भारत–तिब्बत सीमा पुलिस बल का गठन किया गया था। आईटीबीपी की शुरुआत केवल चार पलटनों के एक छोटे से दल के रूप में हुई थी जो अब 45 सेवा पलटनों और चार विशेषीकृत पलटनों का रूप ले चुका है। आईटीबीपी का मुख्य कार्य भारत–तिब्बत सीमा की सुरक्षा और रखवाली करना, सीमा की जनता को सुरक्षा की भावना प्रदान करना, महत्वपूर्ण व्यक्तियों की सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा कर्तव्यों का निर्वहन और आपदा प्रबंधन आदि करना है।
9000 से 18700 फीट की ऊंचाई के बीच घटते बढ़ते 3488 कि॰मी॰ लंबे पर्वत क्षेत्र, जीरो से भी 45 डिग्री नीचे के पारे में चिलचिलाती सर्दीली जगहों, अथाह घाटियों, दुर्गम गड्ढों, अंधियारी नदियों, खतरनाक ग्लेशियरों, पथरीली ढालों और अदृश्य प्राकृतिक खतरों के बीच आईटीबीपी के जवान और अधिकारी अपनी सर्विस का एक बड़ा हिस्सा बिताते हैं। यह काराकोरम दर्रे (जम्मू कश्मीर में तिब्बत तक व्यापार का पुराना मार्ग) से अरुणाचल प्रदेश में दिफू ला तक फैला है।
आईटीबीपी ने 1965 में भारत पाक संघर्ष में हिस्सा लिया था और दुश्मनों से लड़कर उन्हें युद्ध क्षेत्र से बाहर भगा दिया था। पाकिस्तानी घुसपैठियों और सैनिक बलों को खत्म करने के लिए तलाशी अभियान को अंजाम भी दिया और प्रमुख प्रतिष्ठानों को सुरक्षा प्रदान की। 1971 के युद्ध में इसकी दो पलटनों ने श्रीनगर और पुंछ क्षेत्र में घुसपैठियों के ठिकानों के अनेक क्षेत्रों की पहचान/पता लगाने और उन्हें खत्म करने के विशेष कार्य को अंजाम दिया और आईटीबीपी के इस अभियान के लिए उनकी काफी सराहना हुई थी।
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