नई दिल्ली – (प्रदीप कुमार की रिपोर्ट) – चीफ डिफेंस और स्टॉफ जनरल बिपिन रावत ने भारत और चीन के बीच विवाद पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एलएसी विवाद पर कहा है कि लद्दाख में चीनी सेना द्वारा किए गए बदलाव से निपटने के लिए सैन्य विकल्प का ऑप्शन खुला है, लेकिन इस विकल्प पर विचार सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत विफल होने के बाद किया जाएगा।
जनरल रावत ने इशारा किया कि पूर्वी लद्दाख में सेनाओं की तैयारी पूरी है। उन्होंने कोई ऑपरेशनल डिटेल्स देने से इनकार कर दिया। कई दौर की बातचीत के बावजूद, पूर्वी लद्दाख में तनाव कम नहीं हो रहा है। एलएसी पर भारतीय सेना का स्टैंड साफ है कि चीन को अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल करनी चाहिए। सैन्य स्तर पर बातचीत के अलावा विदेश मंत्रालय और दोनों देशों के वर्किंग मकैनिज्म फॉर कंसल्टेशन ऐंड को–ऑर्डिनेशन ने भी चर्चा की है। दोनों पक्ष कंपलीट डिसइंगेजमेंट की दिशा में आगे बढ़ने पर बार–बार सहमत हुए हैं लेकिन धरातल पर असर नहीं हुआ। फिंगर और डारला इलाके में चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) अभ्यास कर रही है।
सीडीएस जनरल रावत से पहले थल सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे भी कह चुके हैं कि आर्मी हाई अलर्ट पर है। फारवर्ड पोस्ट्स के लिए कई हथियार, गोला बारूद और विंटर गियर खरीद रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि LAC के साथ ऊंचाई वाले कुछ क्षेत्रों में सर्दियों के महीनों में तापमान शून्य से 25 डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाता है।
भारत और चीन के बीच लद्दाख में चल रहे विवाद के बीच चीन ने भारत से एक मांग की थी। चीन की ओर से कहा गया था कि पैंगोंग शो इलाके के फिंगर एरिया में विवाद को निपटाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं बराबरी से पीछे हटें और बफर जोन बनाया जाए लेकिन फिलहाल भारत ने सिरे से इस मांग को खारिज कर दिया है।
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