पाकिस्तान को ग्लोगल लेवल पर एक और झटका लगा है। वैश्विक एंटी–टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स, एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा क्योंकि यह आतंकी फंडिंग की जांच के लिए 27 में से छह आदेशों को पूरा नहीं कर पाया है।
इस फैसले की घोषणा FATF के अध्यक्ष मार्कस प्लीयर ने की। एफएटीएफ ने पाकिस्तान से फरवरी 2021 तक अपनी पूरी कार्ययोजनाओं को तेजी से पूरा करने की सलाह भी दी है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को टेरर फंडिंग की जांच करने के लिए और कुछ करने की जरूरत है, जिसमें कहा गया है कि जिन 6 वस्तुओं का पाकिस्तान को पता है, उनमें गंभीर कमी है।
मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए कार्यान्वयन योजना को 2019 के अंत तक लागू किया जाना था। हालांकि, समय सीमा को COVID महामारी के मद्देनजर बढ़ाया गया था। एफएटीएफ एक अंतर–सरकारी निकाय है जो 1989 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए मनी लॉन्ड्रिंग, आतंक वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिए स्थापित किया गया है। वर्तमान में इसके 39 सदस्य हैं। इनमें दो क्षेत्रीय संगठन शामिल हैं– यूरोपीयन कमीशन और गल्फ कॉपरेशन काउंसिल।
एफएटीएफ प्लेनरी में तुर्की ने प्रस्ताव दिया कि 27 में से शेष छह मापदंडों को पूरा करने के लिए इंतजार करने की बजाय सदस्यों को पाकिस्तान के अच्छे काम पर विचार करना चाहिए। साथ ही एक एफएटीएफ ऑन–साइट टीम को अपने मूल्यांकन को अंतिम रूप देने के लिए पाकिस्तान का दौरा करना चाहिए।
वहीं जब प्रस्ताव को 38 सदस्यीय प्लेनरी के सामने रखा गया तो किसी भी सदस्य ने प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी। यहां तक कि चीन, मलेशिया या सऊदी अरब ने भी इसको मंजूरी नहीं दी। अब एफएटीएफ ने अगले साल फरवरी की अगली समीक्षा तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने का फैसला किया है।
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