दिल्ली बॉर्डर्स पर बढ़ी पुलिस की चौकसी, किसान कर सकते है बड़ा आंदोलन

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(अनमोल): राजधानी दिल्ली में एक बार फिर किसान आंदोलन की आहट दिखने लगी है। किसान संगठन केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं,वही संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जंतर-मंतर पर महापंचायत का आह्वान किया गया है। जिसको देखते हुए दिल्ली की सभी सीमाओं पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

दिल्ली के जंतर-मंतर पर किसानों के द्वारा महापंचायत का आह्वान किया गया है,जिसमें किसान प्रदर्शन करेंगे,प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली पुलिस और हरियाणा पुलिस पूरी तरह सक्रिय हो गई हैं। दिल्ली की हर एक सीमा पर भारी संख्या में सुरक्षा जवानों को तैनात किया गया है वही हर एक गाड़ी पर पुलिस के जवान निगाह बनाए हुए हैं टिकरी बॉर्डर हो या सिंघु बॉर्डर या फिर बदरपुर बॉर्डर सभी पर पुलिस के जवान बड़ी संख्या में तैनात किए गए हैं। सिंघु बॉर्डर पर पुलिस ने बड़ी संख्या में बैरिकेड लगा दिए हैं, जिसके कारण आम लोगों को भी जाम का सामना करना पड़ रहा है।

दिल्ली पुलिस की कोशिश है कि दिल्ली में किसी भी स्थिति में कानून व्यवस्था ना बिगड़ने पाए। संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े कई संगठनों ने दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। इसीलिए पुलिस कर्मचारियों की ड्यूटी बॉर्डर पर लगाई गई है। वही अलग-अलग राज्यों के किसान दिल्ली की तरफ आना शुरू हो चुके हैं। हालाकि ये एक दिन का कार्यक्रम होगा जिसके पूर्ण तौर पर शांति व अनुशासन के साथ आयोजित किये जाने का दावा किसान संगठनों की और से किया जा रहा है, यह पंचायत सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक आयोजित की जाएगी। पंचायत के समापन के बाद राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा जाएगा। किसान नेताओ ने चेतावनी देते हुए कहा यदि सरकार किसी भी तरह की बाधा डालने का प्रयास करेगी तो उसके लिए सरकार स्वयं जिम्मेदार होगी।

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किसानों का आरोप है की सरकार ने उनके साथ वादाखिलाफी की है आंदोलन खत्म करने के लिए कृषि कानूनों को खत्म करने के साथ ही कई अन्य शर्तें भी पूरा करने की बात कही गई थी। लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया गया जिसमें लखीमपुर खीरी नरसंहार के पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ, जेलों में बंद किसानों की रिहाई व नरसंहार के मुख्य दोषी केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी की मांग थी। वही MSP की गारंटी का कानून बनाने की मांग और बिजली बिल 2022 रद्द करने की मांग के साथ ही कई मांग शामिल थी,लेकिन सरकार अपने वादे भूल गई।

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