छत्तीसगढ़ के तीन दशक पुराने रायपुर स्थित सबसे बड़े ट्रस्ट के अस्पतालों में से एक एमएमआई हॉस्पिटल में एक नए प्रकार का घोटाला सामने आया है। इसको मेंबर घोटाला कहा जा सकता है, क्योँकि ट्रस्ट के बायलॉज में सिर्फ 11 लोगों को ही सदस्य बनाया जा सकता है। वहीं ट्रस्ट में दान के लिए आई राशि की रसीद तक भी मौजूद नहीं है। यही वजह है कि इस मामले में हाईकोर्ट के परिपालन में सुनवाई हुई।
टोटल न्यूज़ के पास अस्पताल के सम्बन्ध में जारी हुए 54 पन्नों का प्रतिवेदन है, इसमें लिखा गया है कि यहां सामान्य सदस्य 70 लोगों को बनाया गया। यह चाल पूर्व चेयरमैन ने दो संस्थापक सदस्यों की मृत्यु के बाद चली गई और बायलॉज से हटकर सदस्यता दे दी गई। सरकार की ओर से जारी किए गए प्रतिवेदन में स्पष्ट उल्लेख है कि वर्ष 2007 में तैयार की गई सदस्यों की सूची अमान्य है, जबकि इसमें 11 सदस्यों को बनाने की अनुमति है। इन्हीं 11 पदों पर निर्वाचन संपन्न कराने के निर्देश भी छत्तीसगढ़ सरकार के प्रमुख सचिव मनोज कुमार पिंगुआ ने दिए हैं।
यह भी निर्णय लिया गया है कि पेंइग वार्ड के मरीजों के बिल में 10 प्रतिशत से अधिक छूट नहीं दी जाएगी। केवल अध्यक्ष ही छूट देने के लिए सक्षम होंगे। प्रत्येक सदस्य एक साल में पचास हजार से ज्यादा की छूट बिल में नहीं दे सकेंगे। इसमें नि:शुल्क इलाज वार्ड में राशि सम्मिलित नहीं होगी।
वाणिज्य एवं उघोग विभाग के आदेश के बाद पुलिस को यहां कब्जा दिलाने के लिए आदेश दिया गया था। फिर पुलिस भी वहां मौजूद रही। इसके बाद महेंद्र धाड़ीवाल को चैयरमेन की कुर्सी दिलाई गई। जिस तरह से अफवाह फैलाई जा रही कि डकैती की नियत से वहां कब्जा किया गया, यह बात भी गलत साबित हुई, क्योँकि मामले में स्वयं पुलिस मौजूद थी, जब महेंद्र धाड़ीवाल को पदभार दिया गया।
वहीं इस मामले पर पहले हाईकोर्ट और अब रजिस्ट्रार फर्म्स एण्ड सोसायटी से मुंह की खाने के बाद पूर्व चेयरमैन सुरेश गोयल ने एमएमआई प्रबंधन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इस शिकायत पर पुलिस ने अपराध दर्ज करने से मना कर दिया है, क्योँकि मामले में कब्जा आदेश हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य सरकार के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने जारी किया और मौके पर पुलिस ने खड़े होकर कब्जा दिलाया। पुलिस ने तर्क दिया है कि जब पुलिस मौके पर खड़े होकर कब्जा दिला रही है, तो फिर जबरिया ताला तोड़कर कब्जा करने, धोखाधड़ी करने, उपद्रव कर अशांति फैलाने और डकैती करने का मामला कैसे पंजीबद्ध किया जा सकता है।
वहीं वर्ष 2002 के बाद ट्रस्ट का निर्वाचन कार्य भी नहीं हो पाया है, जबकि तीन-तीन साल में निर्वाचन का कार्य कराना आवश्यक है, सचिव ने आदेश में यह निर्देशित किया है कि अब समय-समय पर निर्वाचन का कार्य कराया जाना अनिवार्य होगा।
पेशे से लोहा कारोबारी सुरेश गोयल हमेशा सामाजिक विवादों से घिरे रहते हैं। सुरेश गोयल पर अग्रवाल समाज के चुनाव में भी विवादों का आरोप है। जिस तरह के विवाद से अस्पताल गुजर रहा था, उसी प्रकार का विवाद इन्हीं सुरेश गोयल के कारण रायपुर के खाटू श्याम मंदिर में भी बना रहता है।