देश के सबसे बड़े बैंक आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है जिसमें आरबीआई की ओर से कहा गया है कि कोरोना की सबसे बड़ी मार देश के गरीबों पर पड़ी है।
आरबीआई के मुताबिक एक ओर कोरोना के कारण जहां रोजगार के मौके कम हुए हैं तो वहीं जरूरी सामान के दाम भी बढ़ गए हैं जिसके कारण गरीबों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। आरबीआई ने मंगलवार को ही अपनी सालाना रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में आरबीआई ने कोरोना के दुष्परिणामों की समीक्षा भी की है। इसी रिपोर्ट में आरबीआई ने माना है कि कोरोना वायरस के कारण परिस्थितियां कहां जाएंगी ये अंदाजा लगाना भी काफी मुश्किल है। खास तौर पर तब जब लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था में सुधार के जो लक्षण दिखाई दे रहे थे वो जुलाई में गायब होते हुए नजर आए।
आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालात को सामान्य करने के लिए बाजार में मांग बढ़ाना बेहद जरूरी है लेकिन मुश्किल की बात ये है कि कोरोना से पहले ही बाजार में मांग बढ़ नहीं रही थी वहीं मांग बढ़ाने में सरकार की भूमिका को भी आरबीआई ने अहम बताया है। आरबीआई का मानना है कि इसके लिए सरकार को खर्चे बढ़ाने होंगे जिससे ग्रामीण सेक्टर में भी मांग तेज होगी जिससे लोग खाने–पीने और दवाईयों के अलावा भी कई और चीजों पर खर्च करेंगे और इसका नतीजा ये होगा कि बाजार में मांग बढ़ेगी।
वहीं आरबीआई का कहना है कि बैंक की ओर से पिछले साल ही 2 हजार के नोट की छपाई बंद कर दी गई थी। वहीं मार्च 2018 में 33632 लाख दो हजार रूपये के नोट प्रचलन में थे जो मार्च 2020 तक 27398 लाख रह गए थे।
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