किसान आंदोलन (रिपोर्ट- विकास मेहला): किसान आंदोलन आज 22वें दिन भी लगातार जारी है जहां दिल्ली हरियाणा सीमा पर कुंडली में किसानों को संबोधित करने पहुंचे संत बाबा ने आत्महत्या कर ली । वह तीसरी दफा कुंडली बॉर्डर पर किसान के समर्थन में पहुंचे थे जहां निराश होकर उन्होनें खुद को गोली मार ली ।
संत बाबा राम सिंह के अनुयायियों का कहना है कि संत बाबा ने आत्महत्या नहीं की बल्कि किसानों के लिए शहादत दी है।
दिल्ली धरने पर बैठे किसानों के हालात पर करनाल के सिंघड़ा स्थित नानकसर गुरुद्वारा के संत बाबा राम सिंह ने खुद को गोली मार ली। इससे उनकी मौत हो गई।
बुधवार देर शाम को उनका पार्थिव शरीर करनाल लाया गया। वहां कल्पना चावला राजकीय मेडिकल कॉलेज के मोर्चरी में देर शाम तक उनके पोस्टमार्टम को लेकर अनुयायियों और प्रशासन के बीच असमंजस की स्थिति बनी रही। लेकिन बाद में रात करीब 11:00 बजे के बाद पोस्टमार्टम की प्रक्रिया हुई।
बाबा संत राम के जाने से उनके अनुयायियों में शोक की लहर दौड़ गई उन्होनें सुसाइड नोट को देखते हुए कहा कि बाबा का बलिदान व्यर्थ नही जाएगा, ये सुसाइड नही कुर्बानी है जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ेगा।जिसमे संत ने लिखा था कि किसानों के समर्थन में कोई पदक वापस कर रहा है तो कोई अवार्ड, मैं अपना बलिदान दे रहा हूं..।
इस घटना के चलते किसान और सरकार के बीच कृषि कानून की लड़ाई तेज हो गई है जिस पर फैसले के लिए फिलहाल सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट पर हैं कि आखिर क्या रुख होगा आंदोलन का ।
गौरतलब है कि आज फिर कोर्ट में सुनवाई होगी जिस पर किसान अपना पक्ष रखेंगे वही दूसरी तरफ आंदोलन में महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है खासतौर पर वे महिलाएं जिनके पति ने किसानी में कर्ज के चलते आत्महत्या कर ली है जिससे आंदोलन ओर मजबूत होता जा रहा है ।
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