नई दिल्ली: कथावाचक आसाराम बापू के बेटे नारायण साईं को आज कोर्ट से करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने नारायण साईं को 14 दिन की फरलो दिए जाने के गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को खारिज कर दिया।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने आज सुनवाई करते हुए कहा कि फरलो कोई पूर्ण अधिकार नहीं है और इसे देना कई कारकों पर निर्भर करता है।
अदालत ने कहा कि साई की कोठरी से एक मोबाइल फोन मिला था, इसलिए जेल अधीक्षक ने राय दी थी कि उसे फरलो नहीं दी जानी चाहिए।
गुजरात हाई कोर्ट की सिंगल पीठ ने 24 जून को नारायण साई को फरलो की मंजूरी दी थी। इससे पहले दिसंबर 2020 में हाईकोर्ट ने साई की मां की तबीयत खराब होने के कारण उसे फरलो दी थी।
गुजरात सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से कहा कि साई को ‘फरलो ’ नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वह जेल के अंदर आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है।
साईं ने इस आधार पर ‘फरलो’ मांगी है कि उसे पूर्व में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए अपने पिता आसाराम की देखरेख करनी है।
दरअसल, सूरत की एक कोर्ट ने नारायण साई को 26 अप्रैल 2019 को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (रेप), 377 (अप्राकृतिक अपराध), 323 (हमला), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (षड्यंत्र) के तहत दोषी ठहराया था और उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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