अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए मनाया जाने वाला पर्व पितृ पक्ष 21 सितम्बर से शुरू होगा। इस पितृ पक्ष 16 दिन का होगा और यह 6 अक्तूबर तक चलेगा।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा के दिन जिनके पूर्वजों की मृत्यु हुई है, वे 20 सितम्बर को ही पितरों का श्राद्ध कर्म करेंगे। सुबह नहाने के बाद पितरों का तर्पण करने के लिए सबसे पहले हाथ में कुश लेकर दोनों हाथों को जोड़कर पितरों का ध्यान करें।
उसके बाद उन्हें अपनी पूजा स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करें। पितरों को तर्पण में जल, तिल और फूल अर्पित करें। इसके अलावा जिस दिन पितरों की मृत्यु हुई है,
उस दिन उनके नाम से और अपनी श्रद्धा व यथाशक्ति के अनुसार भोजन बनवाकर ब्राह्मणों, कौवा और कुत्ते को भोजन कराकर दान करें।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से करीब 15 दिनों तक पितृपक्ष मनाया जाता है। पितरों का ॠण श्राद्ध के माध्यम से चुकाया जाता है।
श्राद्ध का अर्थ है श्रद्धा से जो कुछ दिया जाए। पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरगण वर्ष भर तक प्रसन्न रहते हैं और आर्शीवाद देते हैं। इस दौरान प्रतिदिन स्नान के बाद तर्पण करके ही कुछ खाना पीना चाहिए।
यह हैं श्राद्ध की तिथियां
20 सितंबर पूर्णिमा का श्राद्ध
21 सितंबर प्रतिपदा का श्राद्ध
22 सितंबर द्वितीया का श्राद्ध
23 सितंबर तृतीया का श्राद्ध
24 सितंबर चतुर्थी का श्राद्ध
25 सितंबर पंचमी का श्राद्ध
26 सितंबर चंद्र षष्ठी व्रत
27 सितंबर षष्ठी का श्राद्ध
28 सितंबर सप्तमी का श्राद्ध
29 सितंबर अष्टमी का श्राद्ध
30 सितंबर नवमी एवं सौभाग्यवतियों का श्राद्ध
01 अक्टूबर दशमी का श्राद्ध
02 अक्टूबर एकादशी का श्राद्ध
03 अक्टूबर द्वादशी एवं संन्यासियों का श्राद्ध
04 अक्टूबर त्रयोदशी श्राद्ध
05 अक्टूबर चतुर्दशी का श्राद्ध
06 अक्टूबर अमावस का श्राद्ध, अज्ञात तिथि वालों का श्राद्ध, सर्वपितृ श्राद्ध।