(अवैस उस्मानी): चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को मुफ्त सामान बाटने या मुफ़्त चीजों का वादा करने पर रोक लगाने की मांग के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टल गई। मुख्य न्यायधीश यूयू ललित पीठ ने कहा कि मामले को तीन जजों की पीठ के सामने सुनवाई के लिए लगाया जाएगा। मुख्य न्यायधीश यूयू ललित ने कहा मामले में तीन जजों की पीठ जल्द से जल्द मामले की सुनवाई करे। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ अब इस मामले पर सुनवाई करेगी।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि अदालत ने इस मसले पर विशेषज्ञ समिति बनाने को कहा था, हमारा प्रस्ताव हैं कि यह समिति बनाई जाए। चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि मामले में अगर कोई समिति बनाई जाती है तो चुनाव आयोग उसमें शामिल नहीं होगा। लेकिन अगर कोई समिति बनाई जाती है तो आयोग उसमें पूरी सहायता करेगा।
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सुप्रीम कोर्ट में आश्वनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दाखिल किया है। याचिका में कहा कि राजनीतिक दलों को चुनावी माहौल में मुफ्त सामान देने के वादे करने की मंजूरी ना दे। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दल ऐसा सिर्फ अपने वोटबैंक के लिए करते हैं। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम फैसला करेंगे कि फ्री बीज़ क्या है अब यह परिभाषित करना होगा कि फ्रीबीज़ क्या है, जनता के पैसे को कैसे खर्च किया जाए, हम परीक्षण करेंगे। क्या सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल, पीने के पानी तक पहुंच, शिक्षा तक पहुंच को फ्रीबी माना जा सकता है? हमें यह परिभाषित करने की आवश्यकता है कि एक फ्रीबी क्या है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि क्या हम किसानों को मुफ्त में खाद देने से रोक सकते हैं, मुफ्त शिक्षा, सार्वभौमिक शिक्षा का वादा, चिंता सार्वजनिक धन खर्च करने का सही तरीका है. क्या कोई मुफ्त लंच हो सकता है सुझावों में से एक है कि राज्य के राजनीतिक दलों को मतदाताओं से वादे करने से नहीं रोका जा सकता है।
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