मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक सफर की कहानी ,जानिए क्यों कहे जाते थे धरतीपुत्र

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(आकाश शेखर शर्मा): भारतीय राजनीति आजकल जहां व्यक्तिगत दुश्मनी का पर्याय बन गई है। वहीं नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव ने राजनीतिक विचार भिन्नता या राजनीतिक प्रतिद्वंदिता को कभी भी व्यक्तिगत संबंधों पर हावी नहीं होने दिया। यही कारण रहा कि उनके व्यक्तिगत संबंध न केवल सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं से रहें बल्कि संघ प्रमुख मोहन भागवत से भी उनके मधुर संबंध है। नेता जी से हमारी मुलाकात ठाकुर ट्रांसपोर्ट के मालिक यानी राजकिशोर मिश्र जो मेरे गॉडफादर भी थे की कोठी पर अक्सर हो जाया करती थी। जहां वे यदा-कदा आते थे और देर तक बैठते थे। मेरी उनके साथ मुलाकात पहले स्नेह वश हुई फिर उनके प्रति मेरा सम्मान बढा और अंत में मेरे दिलो-दिमाग पर उनके प्रति श्रद्धा के भाव आ गए। यू0पी0 ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन का कोई भी ऐसा सम्मेलन लखनऊ में नहीं हुआ जिसमें नेता जी ने मुख्य अतिथि के रुप में भाग न लिया हो। हमारे संगठन के लोगों ने यही चाहा कि सरकार चाहे जिसकी उत्तर प्रदेश में रहे लेकिन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि धरती पुत्र मुलायम ही रहे और यह अनवरत चलता रहा।

उत्तर प्रदेश में जब सुश्री मायावती के नेतृत्व में बसपा की सरकार थी उस समय जो यू0पी0 ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन का सम्मेलन आयोजित हुआ था। उसके भी मुख्य अतिथि मुलायम सिंह यादव ही थे । तभी तो सुबह के सभी समाचार पत्रों ने लिखा था कि साहित्य तो सरकार की उपलब्धियों का पत्रकारों को बांटा गया लेकिन सरकार को गाली भी मुलायम सिंह यादव से दिलाई गई। उस समय रोहित नंदन सूचना निदेशक थे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव की माता जी के निधन वाले दिन की बात है। मैं अपनी एक महिला पत्रकार मित्र गायत्री राव के साथ जब सैफेई पहुंचा तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव नीचे हाल में सैकड़ों लोगों से घिरे मिले और बोले नेताजी ऊपर हैं डॉक्टर साहब से बात कर रहे हैं। आप लोग मिलकर जाइएगा । हम लोग उसी हाल में लगी सीढ़ियों से चढ़कर ऊपर पहुंचे । नेता जी ने हम लोगों की कुशल क्षेम तुरंत पूछी, हमने भी अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। तो वह बोले रुको ! तब तक लड्डू आ चुके थे हम लोगों ने इनकार किया तो बोले प्रसाद है । खाकर जाओ लेकिन तुरंत ना चल देना, कुछ देर आराम करके जाना।

यह था उनका स्नेह है, यह था उनका अपनत्व जो आज के नेताओं में ढूंढने पर भी नहीं मिलता। यहां तक कि उनके पुत्र अखिलेश यादव में भी वह अपनत्व तो शायद ही अब किसी के प्रति हो। लगभग 25 वर्ष पहले होली के एक दिन पूर्व हुई एक मार्ग दुर्घटना में मेरा बाया पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। मेरे मित्र अरविंद मिश्र द्वारा जब यह सूचना नेता जी को प्राप्त हुई तो उन्होंने कहा कि डॉक्टर और वकील अच्छे से अच्छा करना चाहिए वरना नुकसान हो सकता है। वे आगे बोले मिश्र से कहना कि पैसे की परवाह बिल्कुल नहीं करें मैं हूं न। और अच्छे से अच्छे डॉक्टर से इलाज कराएं। यह है उनकी संवेदनशीलता, यह है उनका निश्चल प्यार जो उन्हें धरतीपुत्र बनाता है। पत्रकार बिरादरी अप्रत्यक्ष रूप से आज चाहे जितनी उनकी उनकी पार्टी की आलोचना करे लेकिन पत्रकारों और ग्रामीण पत्रकारों के लिए उन्होंने जितना कर दिया है। मैं डंके की चोट पर कहता हूं कि कोई नहीं कर सकता। और ना ही उतना सम्मान पत्रकारों को कोई दे सकता है । मैंने कई मौकों पर उन्हें खाने की प्लेट उठाकर पत्रकारों को देते देखा है।

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क्या किसी मुख्यमंत्री से आप ऐसी कल्पना कर सकते हैं? ऐसी अपेक्षा कर सकते हैं? नेताजी जब रक्षा मंत्री थे उसी बीच मेरी भतीजी की शादी नाका चारबाग स्थित अंबर होटल में थी। उनके अपनत्व की पराकाष्ठा थी कि वे रात दिल्ली से लखनऊ होटल और होटल से सीधे एयरपोर्ट चले गए। मेरे कट्टर भाजपाई पिताजी को जब उन्होंने गले लगाया तो मेरे पिता की आंखों में आंसू आ गए। नेताजी ने मेरे पिताजी से कहा कि चिंता मत कीजिए किसी बात की मैं हूं। यही वह कारण है कि आज उनके निधन की सूचना पाकर लोग हद प्रम है, रो रहे हैं क्योंकि नेता जी केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक संस्था थे, जीवन दर्शन थे । मैंने जब उन पर उनके जन्मदिन पर पुस्तक लिखने की बात की तो वे काफी खुश हुए और बोले कि किताब ऐसी हो जो समाज का मार्गदर्शन करें। आज मेरा यह मार्गदर्शक हमें हमेशा छोड़कर चला गया है और सीख दे गया।

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