दिल्ली। कोरोना काल में लंबे समय बाद अब देशभर में 15 अक्टूबर से स्कूल खोले जा सकेंगे। शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल खोलने को लेकर सोमवार को गाइडलाइन जारी कर दी हैं। जिसके अनुसार देश के सभी राज्यों को कोरोना महामारी के बीच खास हिदायतों के साथ स्कूल खोलने की अनुमति प्रदान की गई है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया है कि, 5 अक्टूबर को दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार स्कूलों के फिर से खोले जाने के कम से कम दो से तीन सप्ताह के भीतर कोई भी एसेसमेंट टेस्ट नहीं लिया जाएगा और ऑनलाइन लर्निंग जारी रहेगी, जिसे प्रोत्साहित किया जाता रहेगा।
आपको बता दें, शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में 30 सितंबर को अनलॉक-5.0 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप स्कूलों को फिर से खोले जाने के संबंध में एसओपी/गाइडलाइंस तैयार किए हैं। अनलॉक-5.0 के दिशा-निर्देशों में स्कूलों और कोचिंग संस्थानों को 15 अक्टूबर 2020 के बाद से खोले जाने की छूट दी गई है। हालांकि, इस संबंध में अंतिम निर्णय संबंधित राज्यों की सरकार द्वारा लिया जाना है।
बच्चों के स्कूल जाने के लिए अभिभावकों की लिखित सहमति होगी जरूरी:-
काफी लंबे समय से स्कूल खोलने पर विचार चल रहा था। लेकिन कोरोना के बढ़ते संक्रमण और अभिभावकों के विरोध के चलते इस पर फैसला नहीं लिया जा सका। मगर अब शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल खोलने को लेकर जो गाइडलाइन जारी की हैं उनके अनुसार बच्चों के स्कूल जाने के लिए अभिभावकों की लिखित सहमति जरूरी होगी। देशभर के स्कूल-कॉलेज पिछले करीब छह महीने से बंद पड़े हैं। बीते एक अक्तूबर को देश ने अनलॉक 5.0 में प्रवेश किया है, जिसके तहत अब सरकार लॉकडाउन के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों में धीरे-धीरे राहत दे रही है। इसी के चलते अब स्कूलों को भी 15 अक्तूबर से खोलने का आदेश दिया गया है।
स्कूल खोलने को लेकर जारी गाइडलाइन की कुछ प्रमुख बातें:-
* स्कूल परिसर में किचन, कैंटीन, वाशरूम, लैब, लाइब्रेरी, आदि समेत सभी स्थानों पर साफ-सफाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
* इमरजेंसी केयर सपोर्ट/रिस्पांस टीम, सभी के लिए जनरल सपोर्ट टीम, कमोडिटी सपोर्ट टीम, हाईजीन इस्पेक्शन टीम, आदि जैसी टीमों का गठन जिम्मदारी सहित सभी स्कूलों द्वारा किया जा सकता है।
* स्कूल खुलने के दो-तीन सप्ताह तक एसेसमेंट टेस्ट नही लेना होगा।
* स्कूलों में एनसीईआरटी द्वारा तैयार वैकल्पिक एकेडेमिक कैलेंडर को लागू किया जा सकता है।
* स्कूलों में मिड-डे मील तैयार करते और परोसे जाते समय सावधानी रखनी होगी।
* केंद्र सरकार और सम्बन्धित राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देशों के मुताबिक स्कूल स्वयं भी स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) बना सकते हैं। इसमें सामाजिक दूरी और सुरक्षा के नियम शामिल होने चाहिए। इन्हें स्कूल को नोटिस बोर्ड पर लगाने के साथ-साथ पैरेंट्स को स्कूल के कम्यूनिकेशन सिस्टम के माध्यम से भेजा जाना चाहिए।
* कक्षाओं में बैठने के दौरान सामाजिक दूरी का पालन करना होगा, कार्यक्रम और आयोजनों से बचना चाहिए, स्कूल आने और जाने के टाइम-टेबल बनाना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए।
* सभी छात्र-छात्राएं और स्टाफ फेस कवर या मास्क लगाकर ही स्कूल आएंगे और पूरे समय के दौरान इसे पहने रहेंगे, विशेषतौर पर कक्षाओं के दौरान या सामूहिक कार्यों या मेस में खाने या लैब में परीक्षण करने के दौरान।
*सभी छात्रों, पैरेंट्स, टीचर्स और अन्य को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, केंद्रीय गृह मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार कोविड- 19 से लड़ने में उनकी भूमिका के बारे जागरूक करना होगा।
* सभी कक्षाओं के लिए क्लास और एग्जाम के लिए शैक्षणिक कैलेंडर बनाना होगा। स्कूल में डॉक्टर या नर्स या अटेंडेंट फुल टाइम मौजूद होना चाहिए।
* स्कूल में विभिन्न स्थानों पर सामाजिक दूरी और अन्य जरूरी नियमों को बताने वाले बोर्ड या सूचना पट्ट लगाने होंगे।
*राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों की सरकारें वहां के अभिभावकों से उनके बच्चों के स्कूल जाने को लेकर सहमति मांग सकती हैं। जो छात्र घर से पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं उन्हें इसके लिए अनुमति होगी।
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