प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने आज कांग्रेस पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया।आज़ाद ने पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। सूत्रों के मुताबिक दावा किया जा रहा है कि आजाद नई पार्टी बनाएंगे। कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजी 5 पन्नो की चिट्ठी में आज़ाद ने राहुल गांधी पर खूब निशाना साधा है।
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में बिताए पांच दशक के राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए इंदिरा गांधी, संजय गांधी और राजीव गांधी की तारीफ की तो वहीं राहुल गांधी पर सवाल खड़े किए है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि दुर्भाग्य से राजनीति में राहुल गांधी की एंट्री और खासतौर पर जब आपने जनवरी 2013 में उन्हें उपाध्यक्ष बनाया, तब राहुल ने पार्टी में चली आ रही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया और गैरअनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा।
आज़ाद ने तल्ख टिप्पणी करते हुए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से कहा कि यूपीए सरकार की अखंडता को तबाह करने वाला रिमोट कंट्रोल सिस्टम अब कांग्रेस पर लागू हो रहा है। आप बस नाम के लिए इस पद पर बैठी हैं। सभी जरूरी फैसले राहुल गांधी ले रहे हैं, उससे भी बदतर यह है कि उनके सुरक्षाकर्मी और पीए ये फैसले ले रहे हैं।
आज़ाद ने अपने इस्तीफ़े की चिट्ठी में 2014 की हार का भी जिक्र किया।आज़ाद ने कहा कि कांग्रेस की बर्बादी का सबसे ज्वलंत उदाहरण वह है, जब राहुल गांधी ने सरकार के अध्यादेश को पूरे मीडिया के सामने टुकड़े-टुकड़े कर डाला। कांग्रेस कोर ग्रुप ने ही यह अध्यादेश तैयार किया था। कैबिनेट और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी थी। इस बचकाना हरकत ने भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के औचित्य को खत्म कर दिया। किसी भी चीज से ज्यादा यह इकलौती हरकत 2014 में यूपीए सरकार की हार की बड़ी वजह थी।
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2014 से 2022 के समय का जिक्र करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 2014 में आपकी और उसके बाद राहुल गांधी की लीडरशिप में कांग्रेस शर्मनाक तरीके से 2 लोकसभा चुनाव हारी। 2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से हम 39 चुनाव हार गए। पार्टी ने केवल 4 राज्यों के चुनाव जीते और 6 मौकों पर उसे गठबंधन में शामिल होना पड़ा। अभी कांग्रेस केवल 2 राज्यों में शासन कर रही है और 2 राज्यों में गठबंधन में उसकी भागीदारी मामूली है
अपनी चिट्ठी के आखिर में गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि कांग्रेस ने संघर्ष और सही दिशा में लड़ाई लड़ने की इच्छाशक्ति खो चुकी है।ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस को देशभर में जोड़ने की यात्रा की जानी चाहिए। दरअसल आजाद कई दिनों से हाईकमान के फैसलों से नाराज थे। इसी महीने 16 अगस्त को कांग्रेस ने आजाद को जम्मू-कश्मीर प्रदेश कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था, लेकिन आजाद ने अध्यक्ष बनाए जाने के 2 घंटे बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। आजाद ने कहा था कि ये मेरा डिमोशन है।
आजाद का राज्यसभा का कार्यकाल 15 फरवरी 2021 को पूरा हो गया था। उसके बाद उन्हें उम्मीद थी कि किसी दूसरे राज्य से उन्हें राज्यसभा भेजा जा सकता है, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा। आजाद का कार्यकाल खत्म होने वाले दिन उन्हें विदाई देते हुए PM नरेंद्र मोदी भावुक हो गए थे। 2022 में मोदी सरकार ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण सम्मान दिया था। कांग्रेस के कई नेताओं को यह पंसद नहीं आया। नेताओं ने सुझाव दिया था कि आजाद को यह सम्मान नहीं लेना चाहिए।
गुलाम नबी आजाद पार्टी से अलग उस जी 23 समूह का भी हिस्सा रहे, जो पार्टी में कई बड़े बदलावों की पैरवी करता रहा और अब गुलाम नबी आज़ाद ने आखिरकार पार्टी से इस्तीफ़ा देकर किनारा कर लिया है।