राहुल सहजवानी(यमुनानगर):प्रधानमंत्री के कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान के बाद देशभर के किसानों में खुशी का माहौल है। वही बीजेपी के मंत्री नेता भी प्रधानमंत्री के निर्णय को सही बता रहे हैं, साथ ही यह भी कह रहे हैं कि कृषि कानून बिल्कुल सही थे और किसानों के हित में थे।
हरियाणा के कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने भी इन कानूनों को सही बताते हुए कहा कि कानून सही थे, लेकिन इसको लेकर जो माहौल बनाया गया और जो परिस्थितियां बनाई गई और कहीं ना कहीं किसानों को समझाने में सरकार सफल नहीं हुई, इन सभी को देखते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय प्रधानमंत्री ने लिया है और देश की जनता ने उनका स्वागत किया है, जल्दी सभी परिस्थितियां सामान्य हो जाएंगी ।
जहां तक एमएसपी की बात है उस पर भी कमेटी गठित की जाएगी, इसलिए अब वहां पर बैठना कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि सारी बातें मान ली गई है, वहां बैठने का मतलब होगा कि आंदोलन के लिए आंदोलन, वही उन्होंने कहा कि कुछ लोग ये कह रहे है कि दो प्रदेशो में चुनाव है, उसको देखते ऐसा निर्णय लिया गया लेकिन ऐसा नही है चुनाव तो कुछ समय बाद कही न कही होते ही रहते है।
वहीं उन्होंने कहा कि किसान हित के लिए जो योजनाएं या फसलों के दामों की बात हो या फसलों के मुआवजे की बात को जितना भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने किया है उतना आज तक किसानों के लिए किसी ने नहीं किया।
कृषि कानून वापसी पर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा ये कृषि कानून 100 फ़ीसदी किसानों के हित में थे और ये कृषि कानून है। किसी एक पार्टी ने नहीं बनाए थे, साल 2001 में जब आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जी की सरकार थी, उस समय कमेटी गठित की गई थी वह सभी पार्टियों की कमेटी थी , उसमें जो सुझाव दिए गए उस पर ही काम शुरू किया गया। उसके बाद दो बार कांग्रेस की सरकार रही उन्होंने भी इस पर काम किया और उसके बाद बीजेपी की सरकार है, उसने भी इस पर काम किया 19 साल इन कानूनों को बनने में लगे।
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सभी दलों ने मिलकर किसानों के हित में कानून बनाए थे, लेकिन जिस प्रकार विरोध उसको लेकर हुआ कुछ राजनीतिक दलों ने बैक डोर से उसका पुरजोर समर्थन किया , ये वही राजनीतिक दल है जो इस कानून को बनाने में शामिल थे। यह वही राजनीतिक दल है जिन्होंने अपने घोषणापत्र में कहा था कि हम इस कानून को लागू करेंगे ।
जब आदरणीय नरेंद्र मोदी ने इस कानून को लागू किया तो कुछ दलों ने संगठनों के साथ मिलकर इसका विरोध करना शुरू कर दिया तो माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी यह बात कही, ये कानून किसान के हित के हैं, लेकिन शायद हम समझाने में सफल नहीं रहे या हमारी कमी रही कि वो समझे नहीं , एक कारण मैं ये भी समझता हूं कि इसका यह भी है कि प्रजातंत्र में अपनी बात रखने का एक तरीका है कोई भी दल हो को अपना पक्ष रखेगा चाहे वह कोई राजनीतिक दल हो या कोई संगठन हो या कोई समाज सेवी संस्था हो, अगर किसी को कोई बात गलत लगती है तो वह जनता के सामने अपनी बात रखेंगे और जो उस काम को लागू करने वाले हैं वह भी जनता के सामने अपनी बात रखेंगे ।
दोनों की बात सुनने के बाद ही जनता फैसला करेगी कि क्या सही है? और गलत क्या है? इस आंदोलन में अजीबो गरीब चीज हुई कि सरकार को पक्ष नहीं रखने दिया गया, जहां पर भी पक्ष रखने की बात आई वहां पर विरोध किया गया। अव्यवस्था फैलाना वह सही नहीं था, जो लोग हैं वह भी अपने देश के हैं, वह हमारे ही लोग हैं, हमारे परिवार के लोग हैं सब लोग अपने ही हैं।
इस देश की चिंता एक दल या किसी एक को नहीं है, इसकी चिंता सबको है सारा देश चाहता है कि देश आगे जाना चाहिए और इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए कि देश में टकराव ना हो आगे बढ़ने के लिए जरूरी है कि देश का माहौल अच्छा रहना चाहिए, देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने बड़ा दिल दिखाया और उन्होंने यह तीन कृषि कानून वापिस लिए मुझे पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में पूरी स्थिति सामान्य होगी।
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कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि चुनाव हर समय रहते है, ऐसा कोई समय नही होता जब चुनाव न हो, अभी उपचुनाव चल रहे थे अब कुछ लोग कहेंगे कि उससे पहले वापस लेते तो नतीजे और अच्छे आते या फिर अब चुनाव हैं, मैं समझता हूं चुनाव के थोड़े दिन बाद फिर से चुनाव शुरू है । कई प्रदेशों के चुनाव है और इसके बाद 6 महीने बाद फिर कहीं ना कहीं चुनाव हैं या साल बाद फिर चुनाव हैं, यह लोग कुछ ना कुछ जिक्र करते ही रहेंगे कि कभी कोई वजह बताएंगे तो कभी कोई, मैं समझता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री ने सारी परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए जो राष्ट्र के हित में है देश में अमन-चैन रहे इन सब को देखते हुए निर्णय लिया।
कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा की जितना काम हमारी सरकार ने किसानों के लिए किया और कर रहे है, वो किसी ने नही किया चाहे फसलों के दाम की बात हो या मुआवजा देने की बात हो , एमएसपी पर खरीद की बात है वो भी हमने ज्यादा की।
किसानों के लिए अनेक योजनाएं चलाई, साल में 6 हज़ार रुपए किसान के खाते में आते है और सॉइल हेल्थ कार्ड बनाया की किसान को पता चले कि उसकी जमीन में क्या कमी है। ग्रामीण विकास को अटल बिहारी ने इम्प्लीमेंट किया अब वर्तमान में मोदी सरकार कर रही है और विकास होता हुआ दिखाई दे रहा है य नही की केवल ये मेरा बयान है।
किसान संगठनों का कहना है कि जब तक एमएसपी पर गारंटी का कानून और अन्य मांगे नहीं मानी जाती तब तक अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे । तो इस पर कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि जो बात माननीय प्रधानमंत्री ने कह दी उससे बड़ी कोई बात नहीं होती ।
प्रधानमंत्री जो कहता है मैं नहीं समझता कि उसके बाद कोई औचित्य रह गया हो, जहां तक एमएसपी की बात है तो माननीय प्रधानमंत्री ने इस पर कहा इस पर कमेटी गठित करेंगे। निश्चित तौर पर उसके क्या तरीके रहेंगे कितना कर सकते हैं उसमें सभी पार्टियों की कमेटी होगी और राय ली जाएगी ।
लोकसभा में जो भी कमेटियां गठित होती हैं सभी पार्टियों की होती हैं, यहां भी विधानसभा में सभी पार्टियों की होती हैं कमेटी शायद बाहर लोगों को लगता है कि कमेटियां सरकार की होती हैं, लेकिन इसमें सभी राजनीतिक पार्टियां शामिल होती हैं ।
सांसदों की होती हैं विधायिका की होती हैं विधायिका की तरफ से सब लोग काम करते हैं । सभी लोग निष्पक्ष और उस चीज के विशेषज्ञ होते हैं सभी अधिकारी मिलकर और इसमें क्या कर सकते हैं, ये चुने हुए प्रतिनिधि मिलकर वह अपनी राय देते हैं। उसकी घोषणा माननीय प्रधानमंत्री ने कर दी और मैं नहीं समझता कि अब कोई बात का औचित्य है , मुझे अपने देश की जनता पर पूरा यकीन है जिस प्रकार का विश्वास उनका मोदी जी के प्रति है निश्चित तौर से उसका स्वागत हो रहा है और आगे भी होगा।
इनैलो विधायक अभय चौटाला के बयान की सीएम को अब किसानों से माफी मांगनी चाहिए कि सवाल पर कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि हम आज भी यही कह रहे हैं कि कृषि कानून किसान के हित के कानून है ।
माननीय प्रधानमंत्री जी ने भी यह बात कही और मैं भी यही कहूंगा, मैं दावे के साथ ही कह रहा हूं आने वाले 5 से 10 साल में आप देखेंगे कि इन्हीं कानूनों की दोबारा से डिमांड की जाएगी कि यह लागू होने चाहिए क्योंकि यह कानून उनकी प्रगति का एक रास्ता है, एक रास्ता खोल रहे हैं किसान की प्रगति का इनके बारे में आने वाले समय में यह राय बनेगी।
ये लोग जो कुछ कह रहे हैं लेकिन हम तो आज भी मानते हैं कि कृषि कानून सही थे, लेकिन एक आंदोलन जिस प्रकार से हरियाणा पंजाब में शुरू हुआ और सभी परिस्थितियों को देखते हुए माननीय प्रधानमंत्री जी ने ये निर्णय लिया ।
वही कैबिनेट मंत्रीकि मैं किसानों से यही कहना चाहूंगा कि वह अपने भाई हैं, जो उनकी बात थी कृषि कानून रद्द होने चाहिए वापस होने चाहिए। मैं समझता हूं जनता संतुष्ट है जो माहौल हम देख रहे हैं लग रहा है, जनता पूरी तरीके से संतुष्ट हैं।