दुर्गंध को खत्म करने के लिए नालों में लगाए जाएंगे एरेटर: सत्येंद्र जैन

नई दिल्ली(विश्वजीत झा): दिल्ली में नालों से उठने वाली बदबू और एसटीपी से निकलने वाली दुर्गंध एक बड़ी समस्या है। पिछले कई सालों से इस पर इसे खत्म करने की कोशिश हुई पर कामयाबी नहीं मिली।

दिल्ली सरकार ने नालों से उठने वाली बदबू और एसटीपी से निकलने वाली दुर्गंध को रोकने के लिए संयंत्र लगाने का फैसला किया है।

जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों के साथ नालों से निकलने वाली बदबू और एसटीसी से निकलने वाले दुर्गंध को रोकने के उपायों पर समीक्षा बैठक की, जिसमे नालों से निकलने वाली दुर्गंध-वायु प्रदूषण को रोकने के लिए एसटीपी में जैविक गंध नियंत्रण प्रणाली लगाने के निर्देश दिए।

इसके अलावा नालों में उठने वाली बदबू को रोकने के लिए फ्लोटिंग एयररेटर स्थापित करने की बात कही। सत्येंद्र जैन ने कहा कि कई लोग कहते हैं कि यमुना को साफ नहीं किया जा सकता है, ये कार्य असंभव है।

लगन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इस दिशा में चल रही सभी परियोजनाओं का कार्य तेजी एवं समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाना चहिए, ताकि हम जल्द से जल्द यमुना को स्वच्छ बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा कर सकें।

उन्होंने कहा कि वर्तमान में आधुनिक तकनीकी ने सब कुछ संभव बना दिया है। केजरीवाल सरकार जनहित में नवीनतम तकनीकी का प्रभावी उपयोग कर रही है।

जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों की कार्य प्रगति के साथ-साथ मौजूदा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों को बेहतर बनाने के कार्यों का भी जायजा लिया।

उन्होंने दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि एसटीपी और उनको बेहतर बनाने हेतु चल रहे कार्यों को युद्ध स्तर पर पूरा किया जाना चाहिए, ताकि हम अपने एसटीपी की क्षमता और दक्षता को दोगुना कर सकें। यह यमुना की सफाई के लिए महत्वपूर्ण है।

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उन्होंने कहा कि दिल्ली के सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स को जल्द से जल्द जैविक गंध नियंत्रण प्रणाली से लैस किया जाना चाहिए, ताकि आसपास रहने वाले लोगों के साथ-साथ एसटीपी में काम करने वाले लोग हानिकारक दुर्गंध से प्रभावित न हों।

यह काम प्राथमिकता के तौर पर किया जाए, ताकि आसपास रहने वाले लोगों को जल्द से जल्द दुर्गंध से होने वाली समस्या से मुक्त किया जा सके।

जल मंत्री ने सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को भी कड़े निर्देश देते हुए कहा कि नालों के प्रबंधन से जुड़े सभी कार्यों की प्रमुख जिम्मेदारी सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग की है।

शहर की जल निकासी व्यवस्था को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए राजधानी के सभी नालों को ड्रेनेज मास्टर प्लान के तहत बेहतर एवं पुनर्निर्मित किया जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि पहले चरण में नालों में एयरेटर सिस्टम्स जल्द से जल्द स्थापित किए जाने चाहिए, जो न केवल जल शोधन में मदद करेंगे बल्कि नालियों से निकलने वाली दुर्गंध को भी खत्म करेंगे।

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