देश के जेम्स बांड कहे जाने वाले एनएसए अजीत डोभाल ने भी मंगलवार को अग्निपथ पर अपनी राय दी। डोभाल ने कहा कि समय की जरूरत के साथ ही सेना में भर्ती की प्रक्रिया को भी बदला गया है। अग्निपथ कोई स्टैंड अलोन योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि सेना में 4 साल बिताने के बाद जब अग्निवीर वापिस आएगा तो वो स्किल्ड और ट्रेंड होगा। इसका फायदा ये होगा कि सेना से जो रिटायर होकर अग्निवीर आएंगे वो समाज में सामान्य नागरिक की तुलना में ज्यादा योगदान कर पाएंगे।
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डोभाल ने कहा कि जो हम कल कर रहे थे अगर वही भविष्य में भी करते रहे तो हम सुरक्षित रहेंगे ये जरूरी नहीं। यदि हमें कल की तैयारी करनी है तो हमें परिवर्तित होना पड़ेगा। आवश्यक इसलिए था क्योंकि भारत के चारों तरफ माहौल बदल रहा है। आज भारत में बनी AK-203 के साथ नई असॉल्ट राइफल को सेना में शामिल किया जा रहा है। यह दुनिया की सबसे अच्छी असॉल्ट राइफल है। सैन्य उपकरणों में बहुत प्रगति की जा रही है। पिछले 8 सालों में स्ट्रक्चरल सुधार बहुत सारे हुए हैं। 25 साल से CDS का मुद्दा पड़ा हुआ था। राजनीतिक इच्छाशक्ति न होने के कारण इसको अमल में नहीं लाया जा सका था। आज हमारे डिफेंस एजेंसी की अपनी स्पेस की स्वतंत्र एजेंसी है। अकेले अग्निवीर पूरी आर्मी कभी नहीं होंगे, अग्निवीर सिर्फ पहले 4 साल में भर्ती किए गए जवान होंगे। बाकी सेना का बड़ा हिस्सा अनुभवी लोगों का होगा। जो अग्निवीर नियमित होंगे(4 साल बाद) उन्हें घनिष्ठ ट्रेनिंग दी जाएगी। रेजिमेंट के सिद्धांत के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। जो रेजिमेंट हैं वे रहेंगी। इसमें दो तरह के प्रदर्शन हो रहे हैं, एक तो वे हैं जिन्हें चिंता है, उन्होंने देश की सेवा भी की है.. जब भी कोई बदलाव आता है कुछ चिंताएं उसके साथ आती हैं। हम इसे समझ सकते हैं। जैसे-जैसे उन्हें पूरी बात का पता चल रहा है वे समझ रहे हैं।
सरकार की ओर से अग्निपथ योजना की घोषणा के बाद से ही देशभर में युवा प्रदर्शन कर रहे हैं और कई जगहों पर ये प्रदर्शन हिंसक भी हो चुका है। युवाओं के विरोध को देखकर सरकार की ओर से इस योजना में कई बदलाव भी किये गए हैं। वहीं कई राज्य सरकारें 4 साल की सेवा के बाद रिटायर होने वाले अग्निवीरों को सरकारी नौकरी का ऑफर भी दे रही हैं तो विपक्ष भी लगातार सरकार और अग्निपथ योजना पर सवाल खड़े कर रहा है।