पंजाब में बिजली संकट के बीच दिल्‍ली में धरने पर कैप्‍टन

नई दिल्‍ली– (प्रदीप कुमार): पंजाब जून से ही नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का केंद्र रहा है। विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों द्वारा राज्यों में ट्रेनों को रोकने के बाद केंद्र ने माल ढोने वाली ट्रेनों का पंजाब जाना पूरी तरफ से बंद कर दिया हैं। जिससे पंजाब में एक अभूतपूर्व संकट पैदा हो गया है। इसको लेकर केंद्र सरकार और राज्य सरकार में टकराव दिख रहा है। हालांकि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस हालात के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

 

अब हालात ये हैं कि राज्य में कोयले की भारी कमी हो गई है और राज्य के ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पादन रुक गया है। राज्य के निवासी अब बड़े पैमाने पर बिजली कटने की आशंका के बीच स्थिति से निपटने की तैयारी कर रहे हैं। दिन में ऊर्जा की कमी 1,000 से 1,500 मेगावाट तक पहुंच गई है। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मौजूदा संकट के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है

 

दरअसल अक्टूबर में केंद्र के कानूनों को बेअसर करने के लिए राज्य सरकार अपने कानून ले कर आई और उन्हें विधान सभा से पारित करा कर राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेज दिया। राज्यपाल की स्वीकृति ना मिलने पर जब मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने का समय मांगा तो राष्ट्रपति ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया। इसी मुद्दे पर दिल्ली पहुंचे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले राजघाट पर जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी उसके बाद जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन में हिस्सा लेते हुए केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला।

 

इधर बीजेपी का कहना है कि राज्य में कोयला इसलिए नहीं पहुंच रहा है क्योंकि राज्य सरकार जान बूझकर किसानों को ट्रेन की पटरियों पर से नहीं हटा रही है।

 

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने धान की खरीद के आंकड़े देकर यह जताने की कोशिश की है कि कृषि कानून किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए है

 

पंजाब शुरूआत से ही केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन का केंद्र बिंदु बना हुआ है। राज्य में विरोध इतना गंभीर हो गया था कि शुरुआत में कानूनों का समर्थन करने वाली अकाली दल को भी बाद में अपना मोर्चा बदलना पड़ा। उसने भी विरोध किया और केंद्र में सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए से अपना दशकों पुराना रिश्ता तोड़ लिया। बहरहाल अगर इस समस्या का जल्द ही समाधान नहीं निकला तो पंजाब में संकट और भी गंभीर मोड़ ले सकता है।

 

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