दिल्ली : 26 जनवरी को हुई दिल्ली हिंसा के चलते भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बड़ा फैसला लिया है । 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान कई लोगो ने हिंसा की जिसके चलते कई पुलिस कर्मी और किसान घायल हो गए थे यहां तक की एक किसान की मौत भी ITO पर हो गई थी हांलाकि किसान नवनीत की मौत को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं जो लाल किले वाली घटना के नीचे दबते हुए नजर आ रहे हैं ।
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष ठाकुर भानु प्रताप सिंह ने यह फैसला संवाददाता सम्मेलन में लिया ये बताते हुए कि ट्रैक्टर रैली के दौरान जिस प्रकार की हिंसा हुई पुलिस वालों के साथ जैसा व्यवहार किया गया और किसान की मृत्यु साथ लाल किले पर किसी विशेष धर्म के ध्वज को फहराया गया यह बेहद दुखद है ।
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जिसकी वजह से चिल्ला बार्डर पर करीब 58 दिनों से धरना दे रहे किसान अब प्रदर्शन स्थल से हट चुके है जिसकी वजह से उस रास्ते से आवाजाही करने वाले लोगो को राहत जरूर मिली है लेकिन यह किसानों के लिए अच्छी खबर नही है चूंकि इस हिंसा की वजह से आंदोलन की ढकने लगा है ।
गौरतलब है कि हिंसा में घायल हुए पुलिसकर्मियों से अमित शाह मिलने आज सिविल लाइंस भी पहुंचे हैं वो बात अलग है कि इतने लंबे समय से कृषि आंदोलन में मरने वाले किसानों की संख्या इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक BKU ने बताया है कि केवल पंजाब के 60 किसानों की मौत 26 नवंबर से 3 जनवरी के बीच हो चुकी है जिनमें से 20 लोग सर्दी की वजह से और स्वास्थ्य सुविधा ना होने की वजह से मरे हैं । बता दें ये आंकड़ा असल में इससे भा ज्यादा है ।
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