दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने रविवार को एक बयान में कहा है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सभी बैंकों को सलाह दी गई है कि वे इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से किए गए लेनदेन या भुगतान पर कोई शुल्क कलेक्ट न करें। इसके साथ ही सीबीडीटी ने कहा कि बैंकों को 1 जनवरी 2020 के बाद से किए गए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांजेक्शन पर लगाए गए चार्ज को वापस करना होगा। वहीं इसको लेकर बकायदा एक सर्कुलर जारी किया गया है।
आपको बता दें, सीबीडीटी को ऐसे कई आवेदन व शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिनमें कहा गया है कि बैंक यूपीआई (UPI) के माध्यम से किए गए लेनदेन पर अतिरिक्त शुल्क ले रहे हैं। यूपीआई में लेन-देन की एक निश्चित संख्या को नि:शुल्क अनुमति दी जाती है, लेकिन इसके आगे हर लेनदेन पर शुल्क लगता है।
सीबीडीटी के अनुसार, कुछ अभ्यावेदन किए गए थे कि कुछ बैंक यूपीआई के माध्यम से किए गए लेनदेन पर शुल्क लगा रहे हैं और कलेक्ट कर रहे हैं। ये बैंक एक निश्चित संख्या में लेनदेन से परे हर लेनदेन के लिए शुल्क ले रहे थे जो कि भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम का उल्लंघन था, सीबीडीटी ने ये नोट किया है।
सीबीडीटी के मुताबिक “यह 30 दिसंबर, 2019 के परिपत्र संख्या 32/2019 का उल्लंघन है। सीबीडीटी मे स्पष्ट किया कि धारा 10A (भुगतान और निपटान प्रणाली (PSS) अधिनियम के आधार पर, MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) सहित कोई भी शुल्क 1 जनवरी, 2020 के बाद या इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से किए गए भुगतानों पर लागू नहीं होगा। ।
इसके अलावा सीबीडीटी ने कहा है कि मंत्रालय ने बैंकों को 1 जनवरी, 2020 को या उसके बाद वसूले गए शुल्क को तुरंत वापस करने की सलाह दी है, जो कि आईटी अधिनियम की धारा 269SU के तहत निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक मोड का उपयोग करके किए गए लेनदेन पर है। इसके साथ इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किए गए किसी भी भविष्य के लेनदेन पर भी शुल्क नहीं लगाने की सलाह दी है।
इस तरह का उल्लंघन आईटी अधिनियम की धारा 271 डीएस और पीएसएस अधिनियम की धारा 26 के तहत दंडात्मक प्रावधानों की तरफ इशारा करता है. अधिकांश निजी बैंक एक महीने में 20 से अधिक बार यूपीआई का उपयोग करके व्यक्ति-से-व्यक्ति भुगतान पर 2.5 से 5 रुपये का शुल्क ले रहे हैं।