नई दिल्ली: गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है, केंद्र सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गन्ने का FRP बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है।
इससे पहले एफआरपी 285 रुपए प्रति क्विंटल था। सरकार के मुताबिक, इस फैसले का फायदा 5 करोड़ से ज्यादा गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को मिलेगा।
साथ ही इस फैसले का सकारात्मक असर शुगर मिल और उससे जुड़ी हुई कार्यों में लगे 5 लाख श्रमिकों पर भी देखने को मिलेगा।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पिछले साल फआरपी में 10 रु प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई थी। पीयूष गोयल ने बताया कि शुगर का एफआरपी 290 प्रति क्विंटल- जो 10 फीसदी रिकवरी पर आधारित होगा।
शुगर का 70 लाख टन एक्सपोर्ट होगा, जिसमें से 55 लाख टन हो चुका है। अभी 7.5 फीसदी से 8 फीसदी एथोनॉल की ब्लेंडिंग हो रही है। अगले कुछ साल में ब्लेंडिंग 20 फीसदी हो जाएगा।
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आज के फैसले के बाद भारत एक मात्र देश होगा जहां शुगर प्राइस का लगभग 90 – 91% गन्ना किसानों को मिलेगा। विश्व के देशों में शुगर प्राइस का 70 से 75% गन्ना किसानों को मिलता।
सरकार की नीतियों के कारण गन्ना किसानों को उपज की अच्छी कीमत मिलेगी। गन्ने का FRP मूल्य 290 रुपए प्रति क्विंटल होने से किसानों को लागत का 87% रिटर्न मिलेगा।
इथेनॉल उत्पादन, चीनी निर्यात को बढ़ावा, बफर स्टॉक के माध्यम से शुगर इंडस्ट्री को पैसा देना, इस प्रकार के निर्णयों से सुनिश्चित किया गया कि गन्ना किसानों को समय से भुगतान मिले।
एफआरपी वह न्यूनतम दाम होते हैं, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है। कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश करता है।
सीएसीपी गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है। उस पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है। सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत एफआरपी तय करती है।