चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है। ऐसे में भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना करेंगे।
नवरात्रि का पहला दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रुप को समर्पित है। मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की आराधना कैसे करें।पर्वतराज हिमालय के घर माता उनकी पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई थी। इसी वजह से इनका नाम शैलपुत्री पड़ा था।
नवरात्रि पूजा के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है। आज पहला नवरात्रि है और आज मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना का विशेष दिन है। माता शैलपुत्री की पूजा सभी भक्तों को करनी चाहिए।
मां दुर्गा का शैलपुत्री स्वरूप बेहद ही खास और शुभ माना जाता है। खासतौर पर महिलाओं को माता शैलपुत्री का पूजन जरुर करना चाहिए, इससे उनके जीवन में स्थिरता आती है। सुख, सौभाग्य तथा घर में समृद्धि बनी रहती है।
माता के एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है। माता शैलपुत्री वृषभ पर विराजमान हैं। जो सम्पूर्ण हिमालय पर राज करती हैं।
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने के लिए उनकी तस्वीर हमें पूजास्थल पर अवश्य रखनी चाहिए। मां शैलपुत्री की तस्वीर ना हो तो मां नवदुर्गा की फोटो पूजास्थल पर अवश्य स्थापित करनी चाहिए।
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माता की तस्वीर को किसी लकड़ी के पाटे अथवा चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित कर लेना चाहिए, इसके बाद आपकी जो भी मनोकामना हो उसे आप माता के सामने कहें, और माता के सामने ही संकल्प लें।
माता शैलपुत्री खासतौर पर महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं। माता को लाल पुष्प बेहद पसंद हैं। इसलिए माता को लाल पुष्प अर्पित करें।
और धूप-दीप, नैवेद्य से माता का पंचोपचार, दशोपचार आप जिस भी विधि से आप पूजन करना चाहते हैं, उस विधि से माता का पूजन जरुर करें।
नवरात्र के पहले दिन देवी के शरीर में लेपन के तौर पर लगाने के लिए चंदन और केश धोने के लिए त्रिफला चढ़ाना चाहिए।
त्रिफला बनाने के लिए आंवला, हरड़ और बहेड़ा को पीस कर पाउडर बना लें। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाये रखती हैं।