न्यूयार्क: कोरोना की वैक्सीन बनाने वाली अमेरिका की दिग्गज दवा निर्माता कंपनी फाइजर ने कहा है कि वह अपनी वैक्सीन का ट्रायल 12 साल के कम उम्र के बच्चों पर भी शुरू कर दिया है, जिसके तहत पहले चरण की स्टडी में कम संख्या में छोटे बच्चों को वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी जाएगी।
इसके लिए फाइजर दुनिया के चार देशों-संयुक्त राज्य अमेरिका, फिनलैंड, पोलैंड और स्पेन में 90 से भी ज्यादा क्लीनिकल साइट्स पर 4,500 से ज्यादा बच्चों का चुनाव करेगा।
कंपनी ने बताया कि वैक्सीन ट्रायल के लिए इस हफ्ते 5 से 11 साल के बच्चों को इनरोल करने का काम शुरू किया जाएगा।
इन बच्चों को 10 माइक्रोग्राम की दो डोज दी जाएंगी, जो कि किशोर और वयस्कों को दी जाने वाली वैक्सीन की डोज का एक तिहाई है।
इसके कुछ हफ्तों बाद 6 महीने से ज्यादा उम्र के बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू किया जाएगा और उन्हें तीन माइक्रोग्राम वैक्सीन दी जाएगी।
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फाइजर के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि सितंबर तक 5 से 11 साल के बच्चों का डेटा आ जाएगा, वहीं 2 से 5 साल के बच्चों के लिए डेटा जल्द ही आ सकता है, जिसके बाद कंपनी इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आवेदन कर देगी।
अमेरिका और यूरोपीय संघ में 12 साल से ज्यादा उम्र की बच्चों को फाइजर की वैक्सीन लगाने के लिए पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है, हालांकि ये मंजूरी इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए ही दी गई है।
इस उम्र वर्ग के बच्चों को वयस्कों के समान ही यानी 30 माइक्रोग्राम की डोज दी जा रही है। फाइजर ने कोरोना की वैक्सीन अपने जर्मन पार्टनर बायोएनटेक के साथ मिलकर बनाई है।
फाइजर ने मार्च में 12 से 15 साल के बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल किया था। यूरोपीय मेडिकल संघ और ब्रिटेन की दवा नियामक संस्था ने इसी ट्रायल के आंकड़ों की समीक्षा की है।
यूरोपीय संघ की दवा नियामक संस्था ने कहा था कि इस वैक्सीन का बच्चों पर कोई गंभीर साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है।
फाइजर के अलावा मॉडर्ना भी 12 से 17 साल के बच्चों पर वैक्सीन टेस्ट कर रही है और जल्द ही उसके नतीजे भी सामने आ सकते हैं।
फाइजर के अलावा मॉडर्ना भी 12-17 साल के बच्चों पर वैक्सीन टेस्ट कर रही है और जल्द ही उसके नतीजे भी सामने आ सकते हैं।
एफडीए ने दोनों कंपनियों के अब तक के नतीजों पर भरोसा जताते हुए 11 साल तक के बच्चों पर भी वैक्सीन टेस्ट करने की इजाजत दे दी है।
पिछले महीने एस्ट्राजेनेका ने 6 से 17 साल तक के बच्चों पर ब्रिटेन में अध्ययन शुरू किया है। वहीं, जॉनसन एंड जॉनसन भी अध्ययन कर रहा है। वहीं, चीन की सिनोवैक ने तीन साल तक के बच्चों पर भी अपनी वैक्सीन को असरदार बताया है।