दिल्ली में देश का सबसे बड़ा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट साल 2022 में बनकर तैयार होगा। करीब 110 एकड़ क्षेत्र में फैले इस STP से रोज़ना 564 मिलियन लीटर (एमएलडी) की क्षमता से सीवेज शोधित होगा। इस एसटीपी के पूरा होने के बाद, यमुना में बहने वाले सीवेज का एक बड़ा हिस्सा साफ हो जाएगा। दिल्ली के जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने ओखला में बन रहे भारत के सबसे बड़े सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण स्थल का दौरा करने के दौरान यह जानकारी दी।
जल मंत्री ने बताया कि एसटीपी की क्षमता 564 एमएलडी है। इसका मतलब है यह कि निर्माण के बाद यह एसटीपी 564 एमएलडी सीवेज को यमुना में बहने से रोकेगा। साथ ही, यह एसटीपी बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस) को 10 मिलीग्राम प्रति लीटर करेगा, जो कि शोधित (ट्रीट) किए गए पानी का मानदंड हैं।
ट्रीट किए गए पानी का इस्तेमाल बागवानी, झीलों का कायाकल्प, धुलाई, फ्लशिंग आदि में होगा।
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इस एसटीपी में दक्षिण और मध्य दिल्ली के विभिन्न नालों और सीवरेज नेटवर्क से सीवेज प्राप्त होगा। अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए उन्नत प्रणालियों को इस एसटीपी के साथ एकीकृत किया जा रहा है। एसटीपी में 12 एकड़ में फैले लगभग 150 टन कीचड़ को सुखाने के लिए सोलर-ड्राइंग की व्यवस्था भी होगी। दूषित पानी से ठोस कणों को हटाने के लिए उन्नत सक्शन प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।
एसटीपी से साफ हुए दूषित पानी का उपयोग असोला भट्टी की खदानों और उसके आसपास के क्षेत्रों में भूजल पुनर्भरण के लिए, झीलों और जल निकायों के कायाकल्प के लिए किया जाएगा। अतिरिक्त पानी को यमुना में छोड़ा जाएगा।
मौजूदा समय में ओखला एसटीपी परिसर में 72 एमएलडी और 136 एमएलडी के दो एसटीपी काम कर रहे हैं। इसके बाद, ओखला एसटीपी कॉम्प्लेक्स की कुल क्षमता 771 एमएलडी हो जाएगी। इनमें से 136 एमएलडी पानी बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और टोटल सस्पेंडेड सॉलिड (टीएसएस) 10 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम पहले ही किया जा चुका है। इस परियोजना के पूरा होने के बाद पुराने एसटीपी से आने वाले दूषित पानी की गुणवत्ता में राष्ट्रीय हरित अधिकरण के तय किए गए मानकों के अनुसार सुधार होगा।