नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर हमला बोला और कहा है कि अगर इस वित्त वर्ष में कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था गिरी तो पिछले वित्तीय वर्षों के बारे में आपका क्या कहना है? उन्होंने कहा कि ईश्वर के दूत के रूप में इसका जवाब दें।
पी चिदंबरम ने ट्वीट के जरिए कहा कि यदि महामारी ईश्वर की करतूत है, तो हम महामारी के पहले 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन का वर्णन कैसे करेंगे? क्या ईश्वर के दूत के रूप में वित्त मंत्री जवाब देंगी?
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा जीएसटी क्षतिपूर्ति अंतर को पाटने के लिए राज्यों को दिए दोनों विकल्प अस्वीकार्य हैं। पहले विकल्प के तहत राज्यों से कहा गया है कि वे अपने भावी प्राप्तियों को क्षतिपूर्ति उपकर के तहत उधार लें, जिसमें वित्तीय बोझ पूरी तरह से राज्यों पर पड़ता है।
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दूसरे विकल्प के तहत, राज्यों को आरबीआई विंडो से उधार लेने के लिए कहा जाता है। यह मुख्य तौर पर बाजार उधार है, केवल इसका नाम अलग है। फिर, संपूर्ण वित्तीय बोझ राज्यों पर पड़ता है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बयान में कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट का कारण कोरोना वायरस है। ये एक दैवीय प्रकोप है जिसके कारण देशभर में लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न हो गई और अर्थव्यवस्था में गिरावट आई।
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पी चिदंबरम ने हैरानी जताते हुए कहा कि मुझे नहीं पता कि कोई मुख्य आर्थिक सलाहकार को गंभीरता से लेता है या नहीं। आखिरी बार प्रधानमंत्री के साथ उनकी बातचीत कब हुई थी? वह महीनों से अनुमान लगा रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में वी-शेप की रिकवरी होगी।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए कुछ सुझाव दिए हैं, उन्होंने कहा कि सरकार को या तो कर्ज लेना चाहिए या फिर अपने घाटे को कम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह समय खर्च, मांग को बढ़ाने और लोगों के हाथ में पैसा पहुंचाने का है ताकि उपभोग को बढ़ाया जा सके।
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