सत्येंद्र जैन की ज़मानत का ED ने किया विरोध, कहा जैन मास्टरमाइंड है

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(आवेस खान की रिपोर्ट): मनी लांड्रिंग मामले में आरोपी दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन की ज़मानत याचिका का जांच एजेंसी परिवर्तन निदेशालय ने सत्येंद्र जैन की जमानत अर्ज़ी का विरोध किया। ED की तरफ से ASG राजू ने कोर्ट में कहा कि सत्येंद्र जैन मामले में मास्टरमाइंड है, सत्येंद्र जैन को ज़मानत नहीं दी जानी चहिये। अंकुश और वैभव पर सत्येंद्र जैन का नियंत्रण था, यह एक दम साफ है कि सत्येंद्र जैन इनको कंट्रोल कर रहे थे यह साफ है, वैभव, अंकुश और सत्येंद्र जैन एक सिक्के के दो पहलू है। राउज़ एवेन्यू कोर्ट में अब 13 सितंबर को मामले की सुनवाई होगी।                                                            Satyendar jain bail news,

सत्येंद्र जैन की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ASG राजू ने कहा वैभव और अंकुश से पूछताछ के दौरान पैसों के सोर्स के बारे में पूछा गया, वैभव जैन कंपनी को 3,70, 654 प्रॉफिट हुआ, जिसके बारे में वह अपने सोर्स के बारे में नहीं बता पाए, अंकुश जैन की कंपनी के प्रॉफिट के सोर्स के बारे में नहीं बता पाये। ASG राजू ने कहा कि सत्येंद्र जैन इन कंपनियों पर नियंत्रण था और यह दो लोग सिर्फ डमी थे, अभियोजन प्रत्यक्ष प्रमाणों और परिस्थितिजन्य प्रमाणों पर इसको साबित कर सकता है।

ED के वकील ASG राजू ने कहा कि सत्येंद्र जैन वैभव और अंकुश जैन को फ्रंट पर रख कर काम कर रहे थे, वह सत्येंद्र जैन का चेहरा थे। ASG राजू ने कहा कि सत्येंद्र जैन की पत्नी वैभव जैन के कहने पर दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करती थी, इससे साफ है कि वैभव जैन विश्वासपात्र व्यक्ति था। ASG राजू ने कहा कि सत्येंद्र जैन 27 जून 2018 इनकम टैक्स के असिस्टेंट कमिश्नर को 20% डिमांड टैक्स जमा करने के लिए पत्र लिजहा और कहा कि वैभव जैन और अंकुश जैन की कंपनियों से समायोजित किया जा सकता है, यह सब उसका पैसा था।

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कोर्ट ने ED से सवाल किया कि सत्येंद्र जैन के मंत्री बनने के बाद अगर कोई फैसला लिया तो वह अपराध हो सकता है लेकिन 2010 में आप पार्टी में शामिल होने से पहले अगर कोई फैसला लिया गया है तो वह अपराध कैसे हो सकता है? क्या जो अपराध आपकी शिकायत में दर्ज नहीं है उस पर ज़मानत के दौरान बहस की जा सकती है? ED की तरफ से ASG राजू ने कहा कि हम CBI के आरोपपत्र में मात्रा और मात्रा से बाध्य नहीं किया गया है, यह आरोप तय होते समय बदल सकता है, इस स्तर पर मुझे सीबीआई के आरोपपत्र के साथ बने रहने की ज़रूरत नहीं है। जज ने पूछ कि क्या आप यह कह रहे है कि उन्हीने अपनी ही कंपनी के पैसे की लॉन्ड्रिंग की, कंपनियों को धोखा दिया जाता है और आपकी शिकायत में कंपनी को ही आरोपी बनाया गया, वह उन पैसों की लांड्रिंग कर रहे थे जिससे उनके साथ ही धोखाधड़ी की गई थी।

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