Gurugram: अपर्णा आश्रम सोसायटी जमीन बिक्री मामले में हुआ नया खुलासा

गुरुग्राम(गुलशन ग्रोवर): भले ही सरकार लाख दावे करे कि हरियाणा में सरकारी सिस्टम ऑनलाइन हो रहा है, और भ्रष्टाचार पर लगाम लग रही है, लेकिन ऐसा कुछ होता दिखाई नहीं दे रहा है।

सरकार के दावे खोखले साबित हो रहे है, उसमें किसी तरह की कोई कमी नही आई है। ऐसा ही मामला साइबर सिटी गुरुग्राम में सामने आया है, जहा अधिकारियों ने बेशकीमती जमीन को कोड़ियों के भाव बेच दिया।

अफसरशाही के इस कारनामे पर हर कोई हैरान है। गुरुग्राम के सिलोखरा गांव में योग गुरू धीरेंद्र ब्रह्मचारी की अपर्णा आश्रम सोसायटी की 24 एकड़ जमीन को बेचने और उसकी रजिस्ट्री कराने का मामला  काफी गर्माता जा रहा है।

खास बात यह है कि सिर्फ 20 दिनों में ही इस 2500 करोड़ की संपत्ति को बेच दिया गया साथ ही सोसायटी के प्रधान व सदस्यों पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं।

वहीं, इस मामले में मानव आवाज संस्था ने उठाते हुए कहा है कि इस तरह से किसी सोसायटी की जमीन को नहीं बेचा जा सकता।

इसलिए संस्था इसे ना केवल अदालत में चुनौती देगी, बल्कि पीएम, राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इसकी सीबीआई जांच की मांग भी करने की तैयारी कर रही है।

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बता दें कि अपर्णा आश्रम सोसायटी के संस्थापक प्रधान धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत 9 जून 1994 को एक हवाई जहाज हादसे में हुई थी। इसके तुरंत बाद सभी सदस्यों ने एक मत से मुरली चौधरी को संस्था का प्रधान चुना था।

बाद में दो माह बाद 10 अगस्त 1994 को सुभाष दत्त नाम के शख्स की सोसायटी में गवर्निंग काउंसिल के सदस्य के रूप में एंट्री हुई। इसके लगभग पांच साल बाद 10 नवम्बर 1999 को कश्मीर सिंह पठानिया भी अपर्णा आश्रम सोसायटी की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य के रूप में शामिल हुए।

धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने अपनी मौत के 3 माह पहले 31 मार्च 1994 को सरकार को जानकारी देकर कहा था कि उनकी इस संस्था के 5 गवर्निंग सदस्य हैं, जिनमें वे खुद तथा श्याम शर्मा, केके सोनी, मुरली चौधरी और रेनू चौधरी हैं।

अपर्णा आश्रम सोसायटी को 1973 में सोसायटी एक्ट के तहत दिल्ली में पंजीकृत किया गया था, जिसका पंजीकरण नंबर-5766, दिनांक-25 मई 1973 है।

सुभाष दत्त द्वारा 18 अक्टूबर 2015 को मुरली चौधरी व रेनू चौधरी को संस्था से निकाल दिया गया। अब यहां सवाल यह भी उठता है कि धीरेंद्र ब्रह्मचारी के सबसे करीबी रहे मुरली चौधरी को क्यों निकाला गया।

हालांकि,  दोनों के कारण संस्था के हितों को नुकसान पहुंच रहा है। सुभाष दत्त ने खुद को प्रधान घोषित करने के लिए दिल्ली साउथ-ईस्ट जिला रजिस्ट्रार के पास 22 अक्टूबर 2020 को एक केस दायर किया।

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वहां, झगड़ा चलने के बाद आखिरकार 4 दिसम्बर 2020 को रजिस्ट्रार ने सुभाष दत्त को अपर्णा आश्रम सोसायटी का प्रधान माना। 4 दिसम्बर 2020 से लेकर 24 दिसम्बर 2020 के बीच अपर्णा आश्रम सोसायटी की 24 एकड़ जमीन बेचने का खेल हुआ है।

4 दिसम्बर को ही रजिस्ट्रार की ओर से सुभाष दत्त को सोसायटी का प्रधान घोषित किया गया, इसके 13 दिन बाद यानी 17 दिसम्बर 2020 को इन सबने मिलकर एक प्रस्ताव पास किया, जिसमें कहा गया कि सोसायटी में काफी खर्चे हैं।

फंड की कमी है, इसलिए सोसायटी की जमीन में से 24 एकड़ जमीन को बेचना है। प्रस्ताव पारित करने के एक सप्ताह बाद यानी 24 दिसम्बर 2020 को गुरुग्राम जिला की वजीराबाद तहसील में जमीन की रजिस्ट्री करा दी गई।

20 दिनों में ही 2500 करोड़ की जमीन का सौदा करके इन नए सदस्यों ने करोड़ों के वारे-न्यारे कर लिए। इस तरह से 2500 करोड़ की है 24 एकड़ की अपर्णा सोसायटी की जमीन की कीमत 2500 करोड़ से भी अधिक है।

 

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