यमुनानगर(राहुल सहजवानी): संघ लोक सेवा आयोग (यूएपीएससी) में शानदार प्रदर्शन और 187 रैंक हासिल करने पर निशा यादव का हुआ जोरदार स्वागत किया गया।
एचसीएस से आईएएस बनी यमुनानगर की सीटीएम निशा यादव के जोरदार स्वागत के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कामयाबी के सफर के अनुभव सांझा किया।
सेक्टर 17 स्थित ऑफिसर कॉलोनी में निशा यादव का स्वागत किया गया। कार्यक्रम उनके बैचमेट डीटीओ डॉक्टर सुभाष चंद्र व उसके परिवार ने रखा।
निशा यादव के पिता वीरेंद्र सिंह यादव ट्रांसपोर्ट का कार्य करते हैं। उनके भाई संदीप यादव भी कारोबार में सहयोग कर रहे हैं। निशा यादव की मां सुनीता, बड़ी बहन नीतू पटौदी में लेक्चरर है।
निशा, राव लाल पब्लिक स्कूल सिद्रावली से पढ़ी हैं। दौलत राम कॉलेज संबंधित दिल्ली यूनिवर्सिटी से आगे की पढ़ाई की। आईआईटी मद्रास में उन्होंने पीजी करते हुए गोल्ड मैडल हासिल किया।
नेट जेआरएफ में उनका 41वा रैंक आया, उनका ग्रेड भी क्लियर था। निशा यादव मूल रूप से गुरुग्राम के मानेसर स्थित गांव नखरौला की रहने वाली हैं।
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वह जुलाई माह से यमुनानगर में बतौर सिटीएम कार्यरत हैं। इससे पहले वह कुरुक्षेत्र में बतौर सिटीएम सेवाएं दे चुकी हैं। यादव ने अगस्त 2020 में ही संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में देशभर में 503वां स्थान प्राप्त किया था।
ड्यूटी पर रहते हुए उन्होंने इंटरव्यू की तैयारी की। इंटरव्यू की तैयारी के लिए उन्हें ज्यादातर समय रात को ही मिलता था। क्योंकि सुबह से देर शाम तक लघु सचिवालय में मीटिंग होती थी। कई बार तो देर शाम तक मीटिंग चलती रहती।
27 वर्षीय निशा यादव का कहना है कि समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके प्रति हो रहे अत्याचारों के खिलाफ काम करना चाहती हैं।
वह महिलाओं को समानता का अधिकार दिलाना चाहती थी और ऐसा करने के लिए उन्हें किसी विशेष क्षेत्र में जाने की जरूरत महसूस हुई।
ऐसे में उन्होंने सोचा कि संघ लोक सेवा आयोग में जाकर वे बड़े स्तर पर महिलाओं की मदद कर सकती हैं। उनका सपना था कि वह अधिकारी बनकर महिला समानता और शिक्षा के क्षेत्र में अपना सहयोग दें।
फिर उन्होंने सोचा कि बड़े स्तर पर काम करना है तो इससे भी आगे जाना हाेगा। निशा यादव तीन साल से परीक्षा के लिए कठिन परिश्रम कर रही हैं। तैयारी के लिए उन्होंने इंटरनेट मीडिया का सीमित प्रयोग किया।