Health: दही बहुत पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो हमारे स्वास्थ्य को कई लाभ देता है। दही में विटामिन बी 12, पोटेशियम, कैल्शियम, फास्फोरस, राइबोफ्लेविन, प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, शर्करा और कैल्शियम की मात्रा होती है। दही का नियमित सेवन आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसे उचित मात्रा में और उचित प्रकार से खाना चाहिए।
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वैसे तो दही खाने से कुछ लाभ मिल सकते हैं, जैसे- दही पाचन को बेहतर कर सकता है, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है, हड्डियों और दांतों को मजबूत बना सकता है, वजन घटाने में मदद कर सकता है, हृदय को बेहतर बना सकता है और त्वचा को बेहतर बना सकता है। यद्यपि, दही को सही मात्रा में और सही समय पर खाना आवश्यक है। भारतीय परंपराओं और आयुर्वेदिक सिद्धांतों के आधार पर कुछ लोग मानसून के दौरान दही खाने पर चिंतित हो सकते हैं। यदि आप उचित तरीके से और संतुलित मात्रा में दही खाते हैं तो आप मानसून में सुरक्षित रहेंगे।
हालाँकि सबसे अच्छा है कि आप किसी भी असुविधा के बारे में अपने चिकित्सक से बात करें। माना जाता है कि दही सुबह या दोपहर के भोजन में खाना चाहिए। रात में दही खाने से बचें। आयुर्वेद भी मानसून में दही खाने को प्रतिबंधित करता है। वर्षा के दौरान दही खाने के कुछ दुष्प्रभाव बताए जाते हैं। सावन का महीना मानसून के बीच आता है। आयुर्वेद के अनुसार, इस महीने शरीर में असंतुलन होता है। पित्त जम जाता है और वात बढ़ जाता है। मानसून में कई तरह की पेट की बीमारियां हो सकती हैं। दही, पाचन के लिए अच्छा है, लेकिन सावन में इसे खाना शरीर के छिद्रों को बंद कर सकता है और कई तरह की शारीरिक बीमारियां बढ़ सकता है।
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इसके अलावा दही को ठंडा और भारी माना जाता है और मानसून के दौरान खाने से कफ दोष बढ़ सकता है, जो सर्दी, खांसी और गले में खराश जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। मानसून के दौरान वातावरण में नमी और तापमान की वृद्धि से बैक्टीरिया और अन्य रोगजनक जीवाणुओं की वृद्धि हो सकती है, जिससे दही भी प्रभावित हो सकता है यदि उसे सही तरीके से संग्रहित नहीं किया गया है।