भारत के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने महिला सांसदों के प्रथम पी-20 बैठक में लिया हिस्सा

First P-20 Summit:
First P-20 Summit: राज्य सभा की संसद सदस्य, डा. कल्पना सैनी और संगीता यादव के साथ एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने महिला सांसदों के प्रथम पी-20 बैठक में भाग लेने के लिए 30 जून से 2 जुलाई, 2024 तक मैसिओ शहर का दौरा किया। “एक न्यायपूर्ण विश्व और एक संधारणीय ग्रह का निर्माण” के आदर्श वाक्य के तहत महिला सांसदों के प्रथम पी-20 बैठक के दो दिन ब्राजील और विदेशी नेताओं के बीच जी-20 शिखर सम्मेलन के तीन मुख्य विषयों पर बहस और विचारों के आदान प्रदान के लिए समर्पित थे, इनमें जलवायु परिवर्तन और सतत विकास, सामाजिक समावेश तथा भूख और गरीबी के खिलाफ लड़ाई और वैश्विक संस्थानों में सुधार शामिल हैं।
जलवायु न्याय और महिलाओं और बालिकाओं के लिए सतत विकास को बढ़ावा देने संबंधी प्रथम कार्य सत्र में बोलते हुए, डा. कल्पना सैनी ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन सीमाओं के बावजूद सभी देशों को कैसे प्रभावित करता है, हालांकि यह प्रभाव सामाजिक वर्गों में अलग-अलग रूप से महसूस किया जाता है, जिसके लिए जलवायु न्याय और वैश्विक शमन उपायों के कार्यान्वयन की तत्काल आवश्यकता है। उनके भाषण का मुख्य विषय, अधिक समावेशी जलवायु समाधान सृजित करने के लिए महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की आवश्यकता और अपेक्षा था। उन्होंने प्रकृति के साथ संधारणीयता और सामंजस्य को बढ़ावा देने के लिए भारत द्वारा शुरू की गई कई प्रमुख पहलों पर ध्यान केंद्रित किया। इनमें भारत के नेतृत्व वाले मिशन लाइफ पर विशेष ध्यान शामिल है, जो जन-ग्रह-समृद्धि के दर्शन पर आधारित है।
इस अवसर पर भारत सरकार की प्रमुख लैंगिक संवेदनशील नीतियों, जैसे महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ पहल का विशेष उल्लेख किया गया। राष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण मिशन, जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय कार्य योजना, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन अनुकूलन निधि जैसी कई राष्ट्रीय कार्य योजनाओं पर प्रकाश डाला गया जो लैंगिक समावेशिता के साथ-साथ पारिस्थितिक संधारणीयता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता साबित करती है।
डा. कल्पना ने जल जीवन मिशन और मनरेगा जैसी अग्रणी योजनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि लैंगिक असमानताएं वैश्विक स्तर पर मौजूद हैं और यह समय की मांग है कि जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक समस्याएं मौजूदा हाशिए पर पड़े समुदायों को और अधिक न बढ़ाएं।
उन्होंने अपने भाषण का समापन यह कहते हुए किया कि सतत विकास को बढ़ावा देने की संकल्पना करने वाली जलवायु नीति की प्रकृति समावेशी होनी चाहिए। भारत का मानना ​​है कि जलवायु न्याय तभी सुनिश्चित हो सकता है जब महिलाएं वैश्विक नीतियों के निर्माण में भागीदार हों। जलवायु कार्रवाई में महिलाओं का सशक्तीकरण और समावेश समय की मांग है।
पी20 के सत्रों के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल के निमंत्रण पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने उनके साथ द्विपक्षीय बैठक की। अमरीकी प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस की सदस्य यंग किम और सिडनी कामलागर-डोव शामिल थीं। द्विपक्षीय चर्चा में भारत और अमेरिका के मजबूत द्विपक्षीय संबंधों और महिलाओं, बच्चों और शिक्षा जैसे सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया। अमरीकी प्रतिनिधिमंडल ने चर्चा को वित्तीय समावेशन और साक्षरता पर केंद्रित कर दिया, जिस पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने इस संबंध में सरकार की कई प्रमुख योजनाओं का उल्लेख किया। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने अपने उपराष्ट्रपति की जातीय उत्पत्ति का विशेष उल्लेख किया तथा बताया कि किस प्रकार उन्होंने उनके देश में भारतीय संस्कृति की जीवंतता को उजागर किया है।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने भारत के संधारणीय कार्य के मुख्य क्षेत्रों जैसे वर्षा जल संचयन, सौर ऊर्जा, संधारणीय खेती और पर्यावरण एवं जलवायु के क्षेत्रों में जलवायु न्याय और लैंगिक समावेशिता की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए चर्चा को आगे बढ़ाया।संसद सदस्यों ने इस बात पर जोर दिया कि वे सभी महिलाओं के लिए एक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज बनाने की दिशा में काम करना जारी रखेंगी।

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