कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर बोलते हुए कहा कि मेरा मानना यह है जिस समय वह मौतें हुई उस समय बहुत सर्दी थी हम आम बातचीत में भी कहते हैं कि बुजर्ग इस सर्दी में अगर यह 1 साल निकाल गया कि यह और 1 साल निकाल देगा क्योंकि उस समय ऑक्सीजन की कमी हो जाती है ज्यादा उम्र में हमारे लंग्स उतना काम नहीं करते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है इससे पहले भी गांव में शहर में सब जगह जब सर्दी बढ़ती है तो ऐसा होता है। ये उन बुजुर्गों को सड़क पर लाए 60 से 80 साल के बुजुर्गों को जब हमें पता चल गया है की कुछ लोगों की मौत हो गई तो इस पर निश्चित तौर पर इन लोगो को उस पर विचार करना चाहिए था। अगर यह वास्तविकता में उनके हमदर्द हैं। इन लोगों को उन बुजुर्ग किसानों को कहना चाहिए था कि आप लोग अपने घर जाइये हम यहां पर लड़ाई लड़ेंगे हम संघर्ष करेंगे लेकिन इनका टारगेट तो कुछ और दूसरा ही था यह चाह रहे थे कि अगर यह डेथ हो गई कि हम सरकार के ऊपर दबाव बनाएंगे। इसलिए उन्होंने कहा कि आप शहीद हो गए उन लोगों को उकसाने का काम किया। जो कांग्रेस की बात थी मैं उसकी आलोचना करता हूं और मैं यह भी कहता हूं कि जो भी राजनीतिक दल इस आंदोलन का समर्थन कर रहे है वो लोकतंत्र के खिलाफ हैं।
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पेपर लीक मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सीबीआई जांच की मांग की है। इस सवाल का जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि हर बात के लिए सीबीआई जांच नहीं होती। अगर हम ठीक जांच नही कर रहे। अगर हमारी पुलिस ठीक से जांच नहीं करती फिर तो हम सीबीआई को देंगे। लेकिन अगर हमारी पुलिस ठीक से जांच कर रही है हमारी पुलिस ने जम्मू तक जितने भी इसमें जुड़े हुए अपराधी थे उन सब की जांच कर ली ज्यादातर लोगों की इस मामले में गिरफ्तारी हो चुकी है। जब हम ठीक दिशा में जा रहे हैं और सही जांच कर रहे हैं। हम अपने अधिकारियों का मनोबल नहीं तोड़ेंगे। हर काम हम सीबीआई से नहीं करवाएंगे। अगर हमारे अधिकारी उसमें सफल नहीं होते फिर हम उस पर विचार कर सकते हैं लेकिन इस मामले में सही जांच हो रही है।
कांग्रेस द्वारा कहा जा रहा है कि बीजेपी राज में नौकरियां और राशन की दुकान पर बिक रही हैं इस सवाल का जवाब देते हुए कैबिनेट मंत्री कवँरपाल गुर्जर ने कहा कि यह आरोप मेंने कांग्रेस पर लगाया यह केवल मेरा आरोप नहीं है यह कोर्ट का आरोप है। कांग्रेस ने जब ड्राइंग टीचर पर पीटीआई के उनके सारे नॉर्म्स इन्होंने चेंज कर दिए। बार–बार नॉर्म्स चेंज करके इन्होंने जिस तरीके से भर्ती की। तब कोर्ट ने कहा कि यह लाला की दुकान बन गई है। यह कोर्ट की टिप्पणी है कांग्रेस की भर्तियों के ऊपर कि जो आयोग का चेयरमैन है वह केवल एक दिखावा है कोई चेयरमैन जैसा काम नहीं है और यह व्यवहार कांग्रेस के समय में था। चेयरमैन सिलेक्शन करने के बजाए वह लिस्ट में देखते थे कि उनका अपना आदमी कौन है। पहले इस तरीके की बातों का पता चलता था कि जो पेपर है उसको खाली छोड़ कर आये। इनके समय मे अधिकारियों के ऊपर भी कुछ इस प्रकार के आरोप थे कि इस प्रकार से उनकी सिलेक्शन हुई थी कि वो खाली पेपर छोड़कर आए थे। आज हमारी सरकार में सब कुछ मेरिट के आधार है। पूरी पारदर्शिता के साथ नौकरियां दी जा रही हैं।