प्रदीप कुमार की रिपोर्ट – कर्नाटक से उठे हिजाब विवाद की गूंज पूरे देश में सुनाई दे रही है।वहीं इस मामले पर कुछ देशों की तरफ से की गई टिप्पणियों पर अब विदेश मंत्रालय ने अपना बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में अन्य देशों को दखलअंदाजी नहीं करने की सलाह दी है।विदेश मंत्रालय ने कहा कि मामला कर्नाटक हाई कोर्ट के अधीन है और यह देश का आंतरिक मामला है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची की ओर से आज एक बयान जारी किया गया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा कि कर्नाटक के कुछ कॉलेजों में ड्रेस कोड के संबंध में कर्नाटक की हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है। ऐसे में देश के आंतरिक मामलों पर किसी भी देश की प्रायोजित टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हमारा संवैधानिक ढांचा और तंत्र, साथ ही साथ हमारे लोकतांत्रिक लोकाचार और राजनीति, ऐसे संदर्भ हैं जिनमें मुद्दों पर विचार किया जाता है और उनका समाधान किया जाता है। जो लोग भारत को अच्छी तरह जानते हैं, उन्हें इन वास्तविकताओं की उचित समझ होगी। हमारे आंतरिक मुद्दों पर प्रेरित टिप्पणियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दरअसल हाल में पाकिस्तान के मंत्री ने इस मुद्दे पर अपना बयान दिया था।पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने ट्वीट कर हिजाब पर बैन को मानवाधिकारों का हनन बताया था।
वही अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर अमेरिकी एंबेसडर IRF रशद हुसैन ने भी ट्वीट कर कहा था कि स्कूलों में हिजाब पर पाबंदी लगाना धार्मिक आजादी का उल्लंघन है।
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हिज़ाब विवाद पर विदेशों से आये इन बयानों को लेकर अब भारत में इसे अंदरूनी मामलों में दखलअंदाजी बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया जताई है।
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरुआत दिसंबर के अंत में हुई जब कुछ छात्रा हिजाब पहनकर उडुपी के एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में आने लगी। इसका विरोध करने के लिए छात्रों के एक और ग्रुप ने भगवा गमछा पहनना शुरू कर दिया। जिसके बाद मामला बढ़ता गया और सरकार ने गर्माते हुए मामले के बीच ड्रेस कोड लागू करने का फैसला किया।
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में हिजाब विवाद से संबंधित कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। वहीं कर्नाटक हाई कोर्ट की बेंच इस मामले में सोमवार, 14 फरवरी को फिर से सुनवाई करेगी। ऐसे में कोर्ट ने छात्रों से कहा कि जब तक मामला अदालत में लंबित है, तब तक वे कोई भी धार्मिक वस्त्र नहीं पहनें।