दिल्ली। (रिपोर्ट- अनिल कुमार सिंह) कोरोना काल में जहां एक ओर बेरोजगारी की दर बढ़ रही है। तो वहीं टीचर्स को सैलरी नहीं मिलने की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं। एमसीडी कर्मचारियों के बाद अब कॉलेज और यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने भी दिल्ली सरकार पर सैलरी नहीं देने का आरोप लगाया है। कोरोना पीड़ित होने के बावजूद दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डिजिटल कांफ्रेंस के जरिए यूनिवर्सिटी प्रशासन आरोप लगाया है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के साथ कॉलेजों के पास करोड़ो रुपये सरप्लस में हैं। ये जानबूझकर टीचर्स को सैलरी नहीं दे रहें हैं।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी में काम करने वाले प्रोफेसर कह रहे हैं कि सरकार उनको मेहनताना नहीं दे रही है। जबकि इसके दूसरी तरफ दिल्ली सरकार दावा कर रही है कि उसने कॉलेज और यूनिवर्सिटी का सैलरी फंड पिछले छह साल में कई गुना बढ़ा दिया है। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि कई कॉलेज प्रशासन और यूनिवर्सिटिओं ने अभी तक गवर्निग बॉडी तक नहीं बनने दी है। मनीष सिसोदिया का आरोप है कि हमने कई कॉलेजों और यूनिवर्सिटी का ऑडिट करवाया। ऑडिट टीम ने जो अपनी रिपोर्ट दी है वो काफी चौंकाने वाली थी। जिसके मुताबिक कई कॉलेजों ने करोड़ों रुपये एफडी में जमा करवा रखे हैं, जबकि कर्मचारियों को सैलरी देने के नाम पर कह रहे हैं कि उनके पास फंड नहीं है।
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— Manish Sisodia (@msisodia) September 16, 2020
शिक्षा मंत्री सिसोदिया का कहना है कि कॉलेज और यूनिवर्सिटी खर्च के नाम पर छात्रों से होस्टल फीस लेते हैं। बाकी जो पैसा कम पड़ता है उसे दिल्ली सरकार अपने बजट से देती है। शिक्षा मंत्री के मुताबिक सरकार ने कुछ कॉलेजों के खातों का ऑडिट करवाया। ऑडिट के दौरान कई कॉलेजों के खाते में गड़बड़ी पाई गई है। मनीष सिसोदिया ने आकड़ों के जरिए ये समझाने की कोशिश की है कि किस कॉलेज को किस साल में कितना पैसा सरकार ने दिया है। केशव कॉलेज में 10 करोड़ 52 लाख 88 हजार रुपये फंड में है। इसके साथ अग्नि निवेदिता कॉलेज के फंड में ढाई करोड़ रुपये हैं। दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज के खाते में साढ़े छह करोड़ रुपये हैं।
मनीष सिसोदिया का आरोप है कि बीजेपी एमसीडी की तरह कॉलेज में भी राजनीति करने में लगी हुई है। शिक्षा मंत्री ने साफ कर दिया है कि अगर कोई भी इस भ्रष्टाचार में पकड़ा जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।