बलिदान को मिला सम्मान, 31 साल बाद मिला शहीद का दर्जा

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यमुनानगर(राहुल सहजवानी): बलिदान को मिला सम्मान आतंकियों से लोहा लेते हुए जान गंवाने वाले बीएसएफ के जवान दर्शन लाल की वीरांगना अमरजीत कौर को आपरेशनल कैजुअलटी सर्टिफिकेट दिया गया। बीएसएफ (भारतीय सुरक्षा बल) चंडीगढ़ मुख्यालय से आए सेकेंड इन कमांड प्रवीण डबराल ने उन्हें प्रमाण पत्र दिया। हालांकि, यह प्रमाण पत्र मिलने में उन्हें 31 वर्ष लग गए। इस प्रमाण पत्र के मिलने के बाद ही स्वर्गीय दर्शन लाल को राष्ट्र के लिए बलिदान का दर्जा मिल सका।

17 अक्टूबर 1991 को मुठभेड़़ में वीरगति को प्राप्त हो गए थे, लेकिन उन्हें बलिदान का दर्जा नहीं मिल था। जिस वजह से उनकी पत्नी या बच्चों तक को नौकरी नहीं मिल सकी। करीब एक वर्ष पहले एक्स पैरामिलट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन के संज्ञान में यह मामला आया तो एसोसिएशन ने प्रयास किए। इस दौरान एसोसिएशन से जुड़े सभी सदस्य, नगराधीश अशोक कुमार व डीएसपी हेडक्वार्टर कंवलजीत सिंह भी मौजूद रहे।

गांव शेरपुर निवासी दर्शन लाल 30 अक्टूबर 1984 को बतौर आरक्षक बीएसएफ में भर्ती हुए थे। वर्ष 1991 में उनकी ड्यूटी जम्मू कश्मीर के कुपवाडा में थी। वहीं, 17 फरवरी 1991 को ड्यूटी से लौटते समय उनकी गाड़ी पर उग्रवादियों ने हमला कर दिया था। राकेट लांचर व हैंड ग्रेनेड से हमला किया गया था। इस मुठभेड़ में वह उग्रवादियों से लड़े और वीरगति को प्राप्त हो गए थे। हालांकि, उनकी पत्नी अमरजीत कौर को सरकार की ओर से मिलने वाली राशि व पेंशन दी गई थी, लेकिन बलिदान का दर्जा न मिलने की वजह से उनको सरकारी नौकरी का लाभ नहीं मिल सका था।

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वहीं, अमरजीत कौर ने बताया कि पति के शहीद होने के बाद उन्होंने बड़ी मुश्किल से बेटियों को पाला है साथ ही परिवार का पालन पोषण किया। देर सही पर उनके पति को बलिदान का दर्जा मिला है, यह मेरे लिए गर्व का पल है, लेकिन पति के शहीद  होने के बाद बच्चों को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी। यह दर्द हमेशा रहेगा कि पति के बलिदान को इतने दिनों तक याद नहीं किया गया।

वहीं, बीएसएफ(भारतीय सुरक्षा बल) चंडीगढ़ मुख्यालय से आए सेकेंड इन कमांड प्रवीण डबराल का कहना है कि जो भी बीएसएफ की ओर से सुविधा दी जाती है। वह सभी बलिदानी दर्शन लाल की विधवा को दी गई है। एक्स पैरामिलट्री फोर्सेज एसोसिएशन के प्रधान दविंद्र बख्शी ने बताया कि एसोसिएशन की ओर से काफी प्रयास किए गए। लगातार सरकार को पत्र भेजे गए, जिसमें एक वर्ष का समय लग गया। 26 अक्टूबर 2021 को उनका प्रमाण पत्र जारी हो गया था, इसे अब बीएसएफ के अधिकारियों ने अमरजीत कौर को भेंट किया है।

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