“पारस से ज्यादा अहम पानी”: ‘मन की बात’ में जानें क्या-क्या बोले PM मोदी

नई दिल्ली: पीएम मोदी अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 74वें संस्करण को संबोधित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण पर जोर दिया।

पीएम मोदी ने कहा कि पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है।

मोदी ने कहा कि कल माघ पूर्णिमा का पर्व था, माघ का महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्त्रोतों से जुड़ा हुआ माना जाता है।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि माघे निमग्ना: सलिले सुशीते, विमुक्तपापा: त्रिदिवम् प्रयान्ति, अर्थात, माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है।

दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है। नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं।

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हमारी संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है, इसलिए, इसका विस्तार हमारे यहां और ज्यादा मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो।

माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है।

जल हमारे लिए जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है। पानी के संरक्षण की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि वर्षा ऋतु आने से पहले ही हमें जल संरक्षण के लिए प्रयास शुरू कर देने चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि पानी के संकट को हल करने के लिए एक बहुत ही अच्छा संदेश पश्चिम बंगाल के ‘उत्तर दीनाजपुर’ से सुजीत जी ने भेजा है।

उन्होंने कहा कि ये बात सही है कि जैसे सामूहिक उपहार है, वैसे ही सामूहिक उत्तरदायित्व भी है। सुजीत जी की बात बिलकुल सही है। नदी, तालाब, झील, वर्षा या जमीन का पानी, ये सब, हर किसी के लिए हैं।

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पीएम मोदी ने संत रविदास का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती और ये नाम है संत रविदास।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज भी, संत रविदास जी के शब्द, उनका ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है। संत रविदास की जीवनी को बताते हुए उन्होंने कहा कि संत रविदास ने कहा था हम सभी एक ही मिट्टी के बर्तन हैं, हम सभी को एक ने ही गढ़ा है।

पीएम ने कहा कि ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं। संत रविदास जी के जीवन की आध्यात्मिक ऊंचाई को और उनकी ऊर्जा को मैंने उस तीर्थ स्थल में अनुभव किया है।

पीएम ने कहा हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरुर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को, पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए।

मैं ऐसा इसलिए कहता हूं क्योंकि कई बार हमारे युवा एक चली आ रही सोच के दबाव में वो काम नहीं कर पाते, जो करना वाकई उन्हें पसंद होता है। इसलिए आपको कभी भी नया सोचने, नया करने में, संकोच नहीं करना चाहिए। अपने तौर तरीके भी खुद बनाइए और अपने लक्ष्य भी खुद ही तय करिए।

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अगर आपकी बुद्धि, आपका आत्मविश्वास मजबूत है तो आपको संसार के किसी भी चीज से डरने की जरुरत नहीं है।पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कभी-कभी बहुत छोटा और साधारण सा सवाल भी मन को झकझोर जाता है।

ये सवाल लंबे नहीं होते हैं, बहुत सामान्य होते हैं, फिर भी वे हमें सोचने पर मजबूर कर देते हैं। पीएम ने कहा कि कुछ ही दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा जी मुझसे एक ऐसा ही सवाल पूछा, उन्होंने पूछा कि आप इतने साल पीएम रहे, सीएम रहे, क्या आपको लगता हैं कि कुछ कमी रह गई है।

पीएम मोदी ने कहा कि ये सवाल जितना सहज था उतना ही मुश्किल भी, मैंने इस पर विचार किया और खुद से कहा कि मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया. यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है।

बहुत से लोगों ने मुझे तमिल साहित्य की क्वालिटी और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहीं छात्राओं और छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि आप सब को याद है ना Warrior बनना है worrier नहीं, हंसते हुए परीक्षा देने जाना है और मुस्कुराते हुए लौटना है। किसी और से नहीं, अपने आप से ही स्पर्धा करनी है।

 

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