नई दिल्ली: यूपी गेट पर आंदोलन स्थल में किसानों को भी कैंप में रुकने के लिए आधार कार्ड की कॉपी के साथ 5 जमानती देने होंगे।
यूपी-उत्तराखंड में हिंसा के इनपुट मिलने पर भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कैंपों में रुकने वालों की पड़ताल कराने का निर्णय लिया है।
शनिवार रात उन्होंने कहा कि यूपी-उत्तराखंड में चक्का जाम के दौरान ऐसी सूचना थी कि कुछ लोग हाथ में तिरंगा, किसानों का झंडा लेकर व कैंप लगाकर रास्ता रोकेंगे।
फिर किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए दोनों राज्यों में पांच जगह तोड़फोड़ की योजना थी। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि ऐसे लोगों को पकड़ने के बाद पुलिस को सौंपकर मुकद्दमा दर्ज कराया जाएगा।
वहीं, दूसरी तरफ इस आंदोलन में किसानों की शहादतों का सिलसिला भा जारी है। शनिवार देर रात दिल्ली-हरियाणा के टिकरी बॉर्डर पर एक किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी।
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मरने से पहले मृतक किसान कर्मबीर ने सुसाइड लिखा, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार के खराब रवैये के परेशान होने की बात लिखी है।
कर्मबीर ने सुसाइड नोट में लिखा- भारतीय किसान युनियन जिन्दाबाद। प्यारे किसान भाइयों ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देता जा रहा है इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे।
जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे। कर्मबीर हरियाणा के जींद जिला के सिंघवाल गांव के रहने वाले थे।
आपको बता दें, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को रविवार को 74 दिन पूरे हो गए हैं। शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर पूरे देश में चक्का जाम का कार्यक्रम सफल और शांतिपूर्ण रहा।
तीन घंटे के एलान के बाद किसान एक मिनट भी सड़कों पर नहीं रहा, लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चक्का जाम इस कारण नहीं हुआ कि दोनों जगह पर कुछ लोगों द्वारा चार-पांच जगह पर तोड़फोड़ करने की योजना थी।
इस दोनों राज्यों में कार्यक्रम टाल दिया गया था। शनिवार को राकेश टिकैत ने कहा कि अब यूपी गेट पर आंदोलन स्थल में किसानों की लगातार बढ़ती संख्या और हिंसा के इनपुट पर किसी भी किसान को बिना आधार कार्ड या पांच ग्रांटर के कैंपो में नहीं रुकने दिया जाएगा।
सभी लोगों की पड़ताल की जाएगी। जो भी संदिग्ध व्यक्ति या कुछ गलत बोलते पकड़ा गया तो उसी जांच के बाद पुलिस को सौंपा जाएगा। साथ ही संबंधित व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।