Politics News: तासरी बार देश के प्रधानमंत्री बनकर पीएम मोदी ने इतिहास रच दिया है। ऐसे में विपक्ष का वार लगातार जारी है। अब 18वीं लोकसभा का पहला सत्र शुरू होने के एक हफ्ते बाद, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक लेख लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला है। उन्होंने अपने लेख में लिखा है कि ‘प्रधानमंत्री ऐसे व्यवहार कर रहे हैं मानो कुछ भी नहीं बदला है। वह विवाद को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन साझा सहमति का प्रचार करते हैं। इससे ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (BJP)ने लोकसभा चुनाव 2024 के जनादेश को समझा है और लाखों मतदाताओं के संदेश पर गौर किया है।
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बता दें, सोनिया गांधी ने अपने लेख में लिखा- दुख की बात है कि 18वीं लोकसभा के पहले कुछ दिन उत्साहवर्धक नहीं रहे.’ सदन में सौहार्द के अलावा कोई आशा नहीं दिखी कि आपसी सम्मान और समझौता की नई भावना विकसित होगी। जबकि विपक्ष ने शुक्रवार 27 जून को संसद में सरकार को घेरते हुए दोनों सदनों में नीट पेपर लीक पर चर्चा की मांग की। सोनिया गांधी ने इंडिया ब्लॉक से सोमवार से राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने का इरादा व्यक्त किया है।
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सोनिया गांधी ने लिखा कि इंडिया ब्लॉक में शामिल पार्टियों ने स्पष्ट किया है कि वे टकराव का रवैया नहीं अपनाना चाहते हैं । लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अनुरोध किया है कि वे सहयोग करें। गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे संसद की कार्यवाही को निष्पक्ष ढंग से चलाना चाहते हैं और सार्थक कामकाज करना चाहते हैं। हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे। हम चाहते हैं कि उन लाखों लोगों की आवाज सुनाई जाए जिन्होंने हमें अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद में भेजा है। हम जनता की चिंताओं को उठाएं और उन पर चर्चा करें। हमें उम्मीद है कि ट्रेजरी बेंच कार्रवाई करेंगे ताकि हम अपने लोकतांत्रिक दायित्वों को निभा सकें।
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उनके लेख में स्पीकर ओम बिरला द्वारा लोकसभा में इमरजेंसी प्रस्ताव का भी जिक्र है। सोनिया गांधी ने लेख में लिखा, ‘प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी द्वारा आपातकाल की निंदा की गई- आश्चर्यजनक रूप से स्पीकर ने भी वहीं रुख लिया। स्पीकर से निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है, न कि किसी राजनीतिक पार्टी का पक्ष लेना। यह संविधान, उसके मूलभूत सिद्धांतों और मूल्यों, साथ ही इसके द्वारा बनाई गई और सशक्त की गई संस्थाओं पर हमला करने का प्रयास है। संसद की कार्यवाही सुचारू होने का यह संकेत नहीं है। सोनिया गांधी ने आपातकाल का जिक्र करते हुए लिखा, ‘आपातकाल भारत के इतिहास का सत्य है। लेकिन जो पार्टी 1977 में हार गई थी, वहीं पार्टी तीन साल से भी कम समय में प्रचंड बहुमत से सत्ता में लौट आई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी को ऐसा प्रचंड बहुमत कभी नहीं मिला।