नई दिल्ली (अनिल सिंह की रिपोर्ट): दिल्ली में नई औद्योगिक नीति को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है। दिल्ली सरकार इसे अपनी कामयाबी बता रही है तो वहीं बीजेपी इस नई औद्योगिक नीति को केंद्र सरकार की कामयाबी बता रही है। बीजेपी का कहना है कि केंद्र सरकार ने जैसे अनधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने का काम किया है उसी तरीके से नई औद्योगिक नीति को लिए भी केंद्र सरकार ने ही पहल की है। नई औद्योगिक नीति के तहत अब दिल्ली में किसी उत्पाद की मैनुफैक्चरिंग नहीं होगी। इसके अलावा औद्योगिक इकाई में में बाकी सब कुछ हो सकता है। इसके अलावा वकीलों का चैम्बर, मीडिया हाउस, इंटरनेट सेवाएं, कॉल सेंटर जैसे उद्योगों को इसमें जगह दी गई है।
दिल्ली बिजली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का कहना है कि नई औद्योगिक नीति से अब जो उद्योग दिल्ली से बाहर जाते थे। अब वो दिल्ली से बाहर नहीं जाएंगे बल्कि दिल्ली में ही अपने उद्योग को लगाएंगे। इससे दिल्ली के नौजवानों को रोजगार के अवसर भी ज्यादा मिलेंगे।
राजनीति में अक्सर शिलान्यास का पत्थर कोई लगाता है और उसका उद्घाटन कोई और करता है। ऐसा ही कुछ दिल्ली की नई उद्योग नीति का भी हुआ बहरहाल कुल मिलाकर दिल्ली वालों के लिए यह एक बेहतर नीति हो सकती है। कई लोग ऐसे भी हैं जो इस नीति का विरोध कर रहे हैं।
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