नई दिल्ली: भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आज पंचतत्व में विलीन हो गए। पूरे राजकीय सम्मान के साथ आज उन्हें दिल्ली के लोधी रोड स्थित शवदाह गृह में आखिरी विदाई दी गई। उससे पहले पूरे देश ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत कई बड़े नेताओं ने उन के घर जाकर श्रद्धांजलि दी। पूर्व राष्ट्रपति का लोधी श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया, जहां उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने उनका अंतिम संस्कार किया।
प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव थे, इसलिए उनके अंतिम संस्कार के दौरान सभी प्रोटोकॉल का पालन किया गया। प्रणब मुखर्जी के शव को लकड़ी के ताबूत में रखा गया और उनके पुत्र भी पीपीई किट पहनकर समस्त क्रियाओं का पालन किया।
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कोरोना काल के कारण इस अंतिम संस्कार में बहुत ही कम लोग मौजूद रहे। शवदाह गृह में मौजूद सभी लोगों ने अपने प्रिय नेता की विदाई के दौरान प्रणब दा अमर रहें के नारे भी लगाए। उनके अंतिम संस्कार से पहले उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने सभी प्रक्रियाएं पूरी कीं।
इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को 10, राजाजी मार्ग स्थित उनके सरकारी आवास पर लाया गया, जहां उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत कई नेताओं ने श्रद्धांजलि दी। मोदी कैबिनेट की बैठक में भी प्रणब दा को श्रद्धांजलि दी गई।
रक्षा मंत्रालय ने सोमवार की शाम को एक बयान जारी कर अंतिम संस्कार के दौरान के कार्यक्रम की जानकारी दी थी, इसमें बताया गया था कि कोविड-19 प्रोटोकॉल के चलते पूर्व राष्ट्रपति के पार्थिव शरीर को गन कैरिज के बजाय हर्स वैन यानी शव वाहन में ले जाया जाएगा।
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अंतिम संस्कार लोधी रोड के शवदाहगृह पर हुआ। बयान में कहा गया कि उनके सम्मान के लिए 31 अगस्त से 6 सितंबर तक राजकीय शोक दिवस मनाया जाएगा।
इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को देशभर में नियमित रूप से जिन भवनों पर फहराया जाता है, वहां इसे आधा झुकाकर रखा जाएगा और कहीं भी आधिकारिक तौर पर कोई जश्न का कार्यक्रम नहीं होगा।
बता दें, पूर्व राष्ट्रपति की इसी महीने ब्रेन सर्जरी हुई थी, वहीं वो कोरोना वायरस से भी पीड़ित थे। उनके निधन के बाद केंद्र सरकार और कई राज्य सरकारों ने सात दिनों के आधिकारिक शोक दिवस की घोषणा की है।
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