National science day: एशिया में नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले वैज्ञानिक थे सीवी रमन, जानें क्या थी खोज

NATIONAL SCIENCE DAY :  आज के दिन को  विश्वभर में  विज्ञान दिवस के रुप में बनाया जाता है और ऐसा क्यों है ? ऐसा इसलिए क्योंकि आज ही के दिन भारतीय भौतिकी वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन ने एक अविष्कार किया था जिसे रमन प्रभाव के नाम से हम पढ़ते और जानते हैं । उनके इस अविष्कार को लेकर उन्हें 1930 में नोबेल प्राइज से सम्मानित किया गया था ।  बता दें विज्ञान के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाले वह एशिया के पहले व्यक्ति थे ।

 

यह बात कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक सीवी  के अलावा  किसी भी भारतीय को नोबेल पुरस्कार से  सम्मानित नही किया है। सी वी रमन के अविष्कार को देखते हुए भारत सरकार ने 1954 में उन्हें  भारत रतन से सम्मानित किया ।आप सोच रहे होंगे आखिर वो अविष्कार क्या था ?

 

 

 

क्या था सीवी रमन का अविष्कार यानि ‘ रमन प्रभाव ‘

 

सीवी रमन  के  अविष्कार को  रमन प्रभाव के नाम से ही जाना  जाता है । रमन प्रभाव यह  प्रकाश के बिखराव की प्रक्रिया है इसके  अंतर्गत जब कोई प्रकाश किसी माध्यम में प्रवेश करता है तो  उसके दूसरी छोर से उसमें कुछ बदलाव होता है । रमन प्रभाव के अनुसार किसी पारदर्शी माध्यम  में से निकलने वाले प्रकाश का स्वभाव बदल जाता है जो किसी भी रुप( द्रव, ठोस व गैस )में हो सकता है और यह उस माध्यम पर निर्भर करता है ।  जिस माध्यम से प्रकाश निकलता है उस माध्यम के अनुसार ही  प्रकाश फैलता है ।  आकाश में दिखने वाला इंद्रधनुष भी रमन प्रभाव का उदाहरण  है ।

 

 

 

 

इस अविष्कार का इस्तेमाल कई वैज्ञानिक अब भी कर रहे हैं । रमन प्रभाव का प्रयोग चंद्रयान मिशन के दौरान चांद पर पानी का पता लगाने को लिए किया गया था । रमन प्रभाव का इस्तेमाल  फॉरेंसिक  साइंस में भी किया जाता है । कई वैज्ञानिकों ने इसी अविष्कार के आधार पर कई खोज की है ।

 

 

दरअसल 1921 में जब सीवी रमन ऑक्सफर्ड से एक कार्यक्रम में हिस्सा लेकर भारत लौट रहे थे उस दौरान उन्होंने भूमध्य सागर में अलग ही नीलापन  देखा जिसके चलते उन्होनें रमन प्रभाव की खोज की । उनकी यह खोज रसायनिक योगिकों की संरचना समझने में भी काफी महत्वपूर्ण  है । जिसको देखते हुए 1986 में यह बात रखी गई की रमन खोज के दिवस को वैज्ञानिक दिवस के रुप में मनाया जाएं जिसके बाद से ही 28 फरवरी को हल साल वैज्ञानिक दिवस मनाया जाता है ।

 

 

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