Report: दुनिया भर में वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 81 लाख लोगों की मौत हो जाती है। आकड़ा देखा जाए तो 21 लाख लोग भारत में और 23 लाख लोग चीन में मारे गए हैं। सिर्फ यहीं नहीं, जहरीली हवा प्रत्येक वर्ष 7.09 लाख बच्चों की जान ले लेती है। जिनकी उम्र 5 साल से भी कम है। यानी जिन बच्चों ने अभी दुनिया देखी भी नहीं वो दुनिया छोड़ कर चले जा रहे हैं और वजह आप हम जैसे लोगों की लापरवाही।
Read Also: T20 World Cup: सुपर एट में ऑस्ट्रेलिया का बांग्लादेश से मुकाबला
दरअसल, साल 2021 के सभी आंकड़े इस्तेमाल किए गए हैं। अमेरिकी रिसर्च संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) ने हाल ही में एक अध्ययन किया है जो यूनीसेफ भी स्टडी करता है। स्टडी के अनुसार, विश्व भर में पांच साल से कम उम्र के 7.09 लाख बच्चों की वायु प्रदूषण से मौत हुई है। इनमें से 1.69 लाख से अधिक बच्चे भारत के थे। 1.14 लाख बच्चों की मौत के साथ नाइजीरिया दूसरे स्थान पर है। पाकिस्तान 68,100 बच्चों की मौत के साथ तीसरे स्थान पर है। फिर इथियोपिया में 31,100 बच्चों की मौत और बांग्लादेश में 19,100 बच्चों की मौत हुई। मतलब कि हवा में घुला जहर पांच वर्ष से कम आयु के 15 प्रतिशत बच्चों की मौत का कारण है।
Read Also: मुस्लिम महिला ने सुनाई आपबीती….CM योगी ने कहा ये तुम्हारी नहीं हमारी समस्या है…
दक्षिण एशिया में लोगों की मौत का एकमात्र कारण प्रदूषण नहीं है। इनमें हाई बीपी, तंबाकू और खानपान सबसे बड़ी वजह हैं। भारत और चीन में वायु प्रदूषण से 44 लाख लोगों की मौत हुई है। यानी विश्वव्यापी मौतों का 54%। दुनिया भर में हर घंटे पांच साल या उससे कम उम्र के आठ सौ बच्चों की मौत का कारण बढ़ता वायु प्रदूषण है। घरों में होने वाले प्रदूषण से 7.09 लाख बच्चों की मौतों में से 72% हुई है। लेकिन PM2.5 मौतों का 28% कारण है। कुपोषण के बाद 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण वायु प्रदूषण है। जैसे अस्थमा, जन्म के समय कम वजन, जन्म से पहले जन्म और फेफड़ों की बीमारियां। बच्चों की मौत दूषित ईंधन और घर में खाना बनाने के दौरान वायु प्रदूषण से हुई थी।