संसद के आगामी मॉनसून सत्र में पहली बार होंगे ये अहम बदलाव !

नई दिल्ली (प्रदीप कुमार की रिपोर्ट)– कोरोना महामारी के बीच संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होने वाला हैं। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने 14 सितंबर से एक अक्टूबर तक संसद सत्र चलाने का प्रस्ताव किया है। 18 दिवसीय सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में कोरोना वायरस से बचने के लिए बहुत सावधानियां बरती जाएंगी। कोरोना काल के दौरान होने वाले संसद सत्र के दौरान कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। संसद की कार्यवाही बिना किसी छुट्टी के रोजाना चलेगी। एक सदन की कार्यवाही सुबह की पारी में चलेगी तो दूसरी शाम की पारी में होगी।

क्या होंगे इंतजाम ?

संसद की बैठक के लिए दोनों सदनों में सदस्यों के बैठने के बंदोबस्त को लेकर विशेष सावधानियां बरती जा रही हैं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सदस्यों के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखने के उद्देश्य से दोनों सदनों की गैलरियों और चैंबरों का उपयोग किया जाएगा।

अलग-अलग कक्ष में बैठेंगे सदस्य !

भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार इस तरह की व्यवस्था होगी जहां 60 सदस्य सदन कक्ष में बैठेंगे और 51 सदस्य राज्यसभा की दीर्घाओं में बैठेंगे। इसके अलावा बाकी 132 सदस्य लोकसभा के सदन कक्ष में बैठेंगे। लोकसभा सचिवालय भी सदस्यों के बैठने के लिए इसी तरह की व्यवस्था कर रहा है।दीर्घाओं से भागीदारी के लिए पहली बार बड़े डिस्प्ले वाली स्क्रीन और कंसोल लगाए जाएंगे। दोनों सदनों के बीच विशेष तार बिछाए जाएंगे और कुर्सियों के बीच पॉलीकार्बोनेट शीट की व्यवस्था होगी।

विभिन्न दलों को संबंधित संख्या के आधार पर राज्यसभा के चैंबर और दीर्घाओं में सीटें आवंटित की जाएंगी और शेष को लोकसभा के कक्ष में बैठाया जाएगा। राज्यसभा कक्ष में प्रधानमंत्री, सदन के नेता, विपक्ष के नेता और अन्य दलों के नेताओं के लिए सीटें निर्धारित की जाएंगी। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एचडी देवगौड़ा भी यहां बैठेंगे। सत्ता पक्ष के बैठने के नियत स्थान पर अन्य मंत्रियों की सीटें सुनिश्चित होंगी।

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राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के बीच 17 जुलाई को हुई बैठक में सदन की गैलरी और चैंबर में सदस्यों के बैठने के बंदोबस्त के बारे में फैसला किया गया था। उसी दौरान प्रस्तावित उपायों पर विस्तार से समीक्षा की गई थी। नायडू ने सभी अफसरों को अगस्त के तीसरे सप्ताह तक तैयारियों को निपटा लेने का निर्देश दिया था। उसके बाद फाइनल समीक्षा, परीक्षण और रिहर्सल की जानी है। दरअसल कोरोना संक्रमण की वजह से संसद का बजट सत्र अपने निर्धारित समय से पहले 23 मार्च को स्थगित कर दिया गया था। संसदीय प्रावधान के मुताबिक प्रत्येक छह महीने में संसद सत्र बुलाया जाना चाहिए।

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