नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। शास्त्र के अनुसार, इन 9 दिनों तक मां दुर्गा स्वर्ग से धरती पर विचरण करती हैं।
इन दिनों इनकी पूजा आराधना यदि सच्चे मन से की जाए, तो देवी भक्तों की सभी पीड़ाओं को नष्ट कर जीवन खुशियों से भर देती हैं।
नवरात्रि हिंदू धर्म में बेहद पवित्र और पावन पर्व माना जाता हैं। यह बड़ी धूमधाम से भारत देश में बड़ी धूमधाम मनाया जाता है।
इन नौ जिनों तक भक्त देवी की पूजा आराधना उपवास रहकर करते हैं। नवरात्र में देवी के नौ रूपों की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है।
नवरात्रा के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा आराधना की जाती है। नवरात्र 2021 में तृतीया व चतुर्थी एक साथ होने की वजह से नवरात्र के चौथे दिन पंचमी तिथि रहेगी और मां स्कंदमाता का पूजन किया जाएगा।
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शास्त्रों के अनुसार स्कंदमाता मुक्ति देने वाली देवी कहा जाता है। कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कंद कुमार आदि के रूप में जाना जाता है।
मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं, पर्वतराज की बेटी होने से इन्हें पार्वती कहते हैं।
भगवान शिव की पत्नी होने के कारण एक नाम माहेश्वरी भी है, गौर वर्ण के कारण गौरी भी कही जाती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं, इसलिए इन्हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।
सूर्योदय से पहले उठकर पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, अब मंदिर या पूजा स्थल में चौकी लगाकर स्कंदमाता की तस्वीर या प्रतिमा लगाएं।
गंगाजल से शुद्धिकरण कर कलश में पानी लेकर कुछ सिक्के डालकर चौकी पर रखें, पूजा का संकल्प लेकर स्कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाकर नैवेद्य अर्पित करें।
धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और प्रसाद बांटें, स्कंदमाता को सफेद रंग पसंद होने के चलते सफेद कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं, मान्यता है इससे उपासक निरोगी बनता है।