नई दिल्ली (रिपोर्ट- तरुण कालरा): बिहार चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लेख के जरिये केंद्र पर निशाना साधा है। सोनिया गांधी ने लिखा कि ये तो साफ है ही कि अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। लेकिन गवर्नेंस का लोकतांत्रिक ढांचा भी खतरे में है। अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को दमन और धमकी के जरिए बहुत ही व्यवस्थित ढंग से खत्म किया जा रहा है। सोनिया के मुताबिक विरोध की आवाज को जानबूझकर आतंकवाद या देश-विरोधी गतिविधि बताया जा रहा है।
“The people of India are not just an electorate. They, and only they, are the nation. Governments exist to serve them, not vilify this or that part of them.” – Hon’ble Congress President Smt Sonia Gandhihttps://t.co/6ZkA1F1U2R
— Congress (@INCIndia) October 26, 2020
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दशहरे के मौके पर ये कहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज किया था कि शासक के जीवन में अहंकार, झूठ और वादे तोड़ने की जगह नहीं होती है। इस तीखी आलोचना के बाद सोनिया गांधी ने एक लेख लिखा है और उसमें मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार को घेरते हुए कहा है कि भारतीय लोकतंत्र को खोखला किया जा रहा है।
अंग्रेजी अखबार में सोनिया गांधी का ये लेख सोमवार को प्रकाशित किया गया है। इसमें सोनिया गांधी ने लिखा कि ये तो साफ है ही कि अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। लेकिन गवर्नेंस का लोकतांत्रिक ढांचा भी खतरे में है। अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार को दमन और धमकी के जरिए बहुत ही व्यवस्थित ढंग से खत्म किया जा रहा है। विरोध की आवाज को जानबूझकर ‘आतंकवाद’ या ‘देश-विरोधी गतिविधि’ बताया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने लिखा है कि मोदी सरकार और बीजेपी को हर राजनीतिक विरोध के पीछे साजिश नजर आती है। जो लोग विरोध में आवाज उठाते हैं उन्हें जांच एजेंसियों से डराया जा रहा है और मीडिया के कुछ हिस्से व ट्रोल्स के जरिए परेशान किया जा रहा है। इस तरह भारतीय लोकतंत्र को खोखला किया जा रहा है। पुलिस, ईडी, सीबीआई, एनआईए और एनसीबी जैसी एजेंसियों का नाम लेते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि ये एजेंसी सिर्फ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के ऑफिस के इशारे पर काम करती हैं।
सोनिया के लेख पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के पलटवार पर भी कांग्रेस के तीखी प्रतिकिया दी है। कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ के मुताबिक़ सोनिया गांधी के खत में बीजेपी की इसी प्रवर्ति का जिक्र है जहां विरोध करने वालो को देशद्रोही करार दे दिया जाता है।
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एनडीए के पहले कार्यकाल का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने लखा है कि मोदी सरकार ने राजनीतिक विरोधियों को भारत का दुश्मन बनाकर पेश किया। जिन लोगों ने भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाई उन पर सख्त कानून के तहत कार्रवाई की गई। इसकी शुरुआत 2016 में जेएनयू के यंग स्टूडेंट्स के खिलाफ राजद्रोह लगाकर की गई। इसके बाद लगातार एक्टिविस्ट, स्कॉलर्स और बुद्धिजीवियों को भी ऐसे ही निशाना बनाया गया। क्योंकि इन लोगों ने सत्ताधारियों के खिलाफ आवाज उठाई। जबकि लोकतंत्र का मतलब वैचारिक मतभेद ही है। एंटी बीजेपी प्रोटेस्ट को एंटी इंडिया कह दिया। सोनिया गांधी ने लिखा कि सीएए, एनआरसी जैसे मुद्दों पर जब विरोध प्रदर्शन किए गए तो सरकार ने इस कदम को एंटी-बीजेपी की जगह एंटी-इंडिया बना दिया।
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सोनिया गांधी ने कहा कि शाहीनबाग समेत देश के कई हिस्सों में महिलाओं ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया। इसने नई मिसाल कायम की और पुरुषों की बजाय महिलाओं ने स्टेज संभाला। विरोध प्रदर्शन को भारी समर्थन मिला। लेकिन मोदी सरकार ने सीएए विरोधी प्रदर्शन को कोई तवज्जो नहीं दी और दूसरी तरफ दिल्ली चुनाव में अलग रंग दे दिया। मंत्रियों से लेकर बीजेपी नेताओं ने प्रदर्शनकारियों को धमकी दी। सत्ताधारी दल ने ऐसे हालात पैदा किए कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा भड़क गई।
हाथरस रेप केस पर सोनिया गांधी ने लिखा यूपी सरकार ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ घिनौनी हरकत की, दलित लड़की का नियमों के खिलाफ जाकर अंतिम संस्कार कर दिया और इंसाफ की मांग कर रहे परिवार को धमकाया गया। जबकि यूपीए के दौरान निर्भया केस को बहुत अच्छे से संभाला गया था।
सोनिया गांधी ने लिखा कि पीएम हमेशा दावा करते हैं कि वो 130 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करते हैं लेकिन उनकी सरकार सत्ताधारी पार्टी राजनीतिक विरोधियों, वैचारिक विरोधियों और बीजेपी को वोट न करने वाले लोगों को दोयम दर्ज का नागरिक मानती है। सोनिया गांधी ने लेख के अंत में कहा कि देश के लोग सिर्फ वोटर नहीं हैं, वो ही राष्ट्र हैं, सरकार उनकी सेवा के लिए है, उन्हें परेशान करने के लिए नहीं।