असंसदीय शब्दों को हटाने के विवाद पर स्पीकर ओम बिड़ला बोले- किसी भी शब्द पर नहीं लगाया बैन

नई दिल्ली(प्रदीप कुमार): संसद में असंसदीय शब्दों को लेकर विपक्ष के हंगामें के बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कई बड़ी बाते कहीं है। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद के द्वारा किसी भी शब्द पर बैन नहीं लगाया गया है और इस मामले में किसी को भ्रम नहीं फैलाना चाहिए। संसद में ‘असंसदीय शब्दों’ को बैन किए जाने को लेकर विपक्ष के हंगामें के बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने बड़ा बयान दिया है। स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि शब्दों पर बैन नहीं लगाया गया है, केवल असंसदीय घोषित किया गया है।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने यह भी कहा कि सरकार के जरिए रोक नहीं लगाई गई है, प्रक्रिया के तहत ये फैसला लिया गया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि ये प्रक्रिया काफी लंबे समय से चली आ रही है। लंबे समय से असंसदीय शब्दों को हटाने की प्रक्रिया चल रही है। पहले इस तरह के असंसदीय शब्दों की एक किताब का विमोचन किया जाता था, हमने सिर्फ कागजों की बर्बादी से बचने के लिए इसे इंटरनेट पर डाल दिया है। किसी भी शब्द पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, हमने संसदीय कार्यवादी से हटा दिए गए शब्दों का संकलन जारी किया है।

विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि ‘क्या विपक्ष ने 1100 पन्नों की इस डिक्शनरी असंसदीय शब्दों को मिलाकर को पढ़ा है, अगर वे इसे पढ़ते तो गलतफहमियां नहीं फैलाते। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह भी कहा कि बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार कोई नहीं छीन सकता। विपक्ष से अपील करते हुए स्पीकर ने कहा कि देश में इसका भ्रामक प्रचार नहीं किया जाना चाहिए।

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह भी कहा कि जिन शब्दों को असंसदीय माना गया है, वे विपक्ष के साथ-साथ सत्ताधारी पार्टी द्वारा भी संसद में कहे या उपयोग किए गए हैं। केवल विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों का चयन करके नहीं हटाया गया है। कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी।

स्पीकर होम बिल्डर ने साफ किया कि कोई शब्द ऐ संसदीय है या नहीं यह निर्णय उससे संदर्भ को समझने के बाद ही सदन में तय होता है पीठासीन अधिकारी शब्द पर आपत्ति के बाद उसको संसदीय मानकर सदन की कार्यवाही से बाहर करता है इसका मतलब यह नहीं कि वह शब्द हमेशा के लिए बैन हो गया सदन में चर्चा के दौरान सांसदों को अपनी अभिव्यक्ति की आजादी है बेहतर है वह मर्यादित भाषा में अपनी बात रखे लेकिन अगर गैर मर्यादित भाषा में बात रखते हैं तो आपत्ति के बाद उन शब्दों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया जाता है।

इस मामले पर सरकारी सूत्रों ने कहा कि सूची कोई नया सुझाव नहीं है, बल्कि लोकसभा, राज्यसभा या राज्य विधानसभाओं में पहले से ही हटाए गए शब्दों का संकलन है। इसमें राष्ट्रमंडल देशों की संसदों में असंसदीय माने जाने वाले शब्द भी हैं। हर साल असंसदीय शब्दों की सूची जारी की जाती है। इनमें से अधिकतर शब्दों को यूपीए सरकार के दौरान भी असंसदीय माना जाता था। पुस्तिका केवल शब्दों का संकलन है, सुझाव या आदेश नहीं है।

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