हरियाणा सरकार द्वारा निजी नौकरी में स्थानीय लोगों को 75 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने के मामले पर सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को होगी।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हमें पता चला है कि झारखंड और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में भी बिल्कुल इसी तरह के मामले चल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि वह विचार करेगा कि झारखंड और आंध्र प्रदेश में चल रहे पहले से यह मामले क्या सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर हो सकते हैं। शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही हरियाणा सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने उनको अपनी बात रखने के लिए सिर्फ 90 सेकड का समय दिया और सरकार के इस कानून पर अंतरिम रोक लगा दी। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के इसी अंतरिम रोक के फैसले को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। हरियाणा सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि यह आरक्षण सिर्फ तीस हजार रुपए मासिक वेतन तक के पदों के लिए दिया गया है।
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आपको बता दें कि हरियाणा सरकार ने हाल ही में रोजगार अधिनियम 2020 के तहत निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 फ़ीसदी आरक्षण देने का कानून पास किया है। सरकार के मुताबिक यह कानून तीस हजार रुपए मासिक वेतन तक के पदों के लिए है। हरियाणा सरकार के इस कानून को हरियाणा के कई उद्योगपतियों ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा था कि ऐसा करने से कुशल लोगों के साथ अन्याय होगा। हरियाणा के उद्योगपतियों ने कोर्ट में यह भी कहा कि ऐसा करने से हरियाणा से उद्योगों का पलायन भी हो सकता है। हरियाणा के उद्योग पतियों की इस याचिका को सुनने के बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार के इस कानून पर अंतरिम रोक लगा दी थी। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के इसी अंतरिम रोक को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।